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महाधिवक्ता कार्यालय में आग : फायर फाइटिंग सिस्टम में मिली थीं खामियां, फिर भी आंख मूंदे रहे अफसर

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Prayagraj News :  महाधिवक्ता कार्यालय।

सितंबर 2021 में अनुरक्षण के लिए सीएंडसीएस से भवन हस्तांतरित होने के बाद की पीडब्ल्यूडी के विद्युत यांत्रिक खंड के अभियंताओं ने तकनीकी टीम के साथ फायर फाइटिंग सिस्टम का फ्लोरवाइज सर्वेक्षण कराया।

डॉ. भीमराव आंबेडकर भवन स्थित सूबे के महाधिवक्ता कार्यालय में लगी आग के पीछे नित नई परतें खुल रही हैं। आग की घटना के पहले ही इस भवन के भूतल से लेकर आखिरी मंजिल तक लगे फायर फाइटिंग सिस्टम के ठप पाए जाने की जानकारी जिम्मेदार अफसरों को मिल गई थी। अनुरक्षण का जिम्मा संभालने वाली कार्यदायी संस्था पीडब्ल्यूडी ने महीने भर पहले फायर फाइटिंग सिस्टम के खराब होने की जानकारी शासन को दी, लेकिन इसे बदलवाना जरूरी नहीं समझा गया।

सितंबर 2021 में अनुरक्षण के लिए सीएंडसीएस से भवन हस्तांतरित होने के बाद की पीडब्ल्यूडी के विद्युत यांत्रिक खंड के अभियंताओं ने तकनीकी टीम के साथ फायर फाइटिंग सिस्टम का फ्लोरवाइज सर्वेक्षण कराया। भूतल से लेकर नौवें तल तक हर कदम पर फायर फाइटिंग सिस्टम में खामियां पाई गईं। पांचवें तल से नौवीं मंजिल तक की जो शासन को रिपोर्ट भेजी गई है, उसके मुताबिक फायर फाइटिंग सिस्टम इस लायक ही नहीं थे, कि उनके मत्थे आग से लड़ा जा सके। हर तल पर भवन के आंतरिक भाग में लगे फायर हाइड्रेंट सिस्टम में लैंडिंग वॉल नहीं होने की बात रिपोर्ट में कही गई है।

 

Prayagraj News :  महाधिवक्ता कार्यालय इलाहाबाद हाईकोर्ट।
इसके अलावा भवन में स्थापित फायर फाइटिंग सिस्टम में आरआरएल, होजरील, ब्रांच पाइप तक न होने की बात कही गई है। जगह-जगह लगे फायर एक्सटिंग्यूशर में ज्यादातर के शो पीस होने और फायर एलार्म सिस्टम के भी पूर्ण रूप से क्रियाशील न होने की बात रिपोर्ट में शामिल है। ठप पड़े इस फायर फाइटिंग सिस्टम को बदलने, मरम्मत कराने के साथ ही इसके अनुरक्षण के लिए पीडब्ल्यूडी के विद्युत यांत्रिक खंड के एक्सईएन ने शासन से बजट की मांग भी की और धन स्वीकृत करने के साथ अवमुक्त भी कर दिया गया। बावजूद इसे समय रहते बदला नहीं गया।

Prayagraj News :  इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने महाधिवक्ता कार्यालय।

नौ तलों वाले महाधिवक्ता भवन में लगे 120 अग्निशमक सिलेंडरों के भी निष्क्रिय होने की रिपोर्ट
महाधिवक्ता कार्यालय भवन में लगे 120 अग्नि शमक सिलेंडरों के भी निष्क्रिय होने की जानकारी मिली है। 2012 में निर्माण कराने वाली संस्था सीएंडडीएस की ओर से महाधिवक्ता को भवन हस्तांतरित किए जाने के बाद अग्निशमक सिलेंडर भी नहीं बदले गए थे। पीडब्ल्यूडी की रिपोर्ट में ही 10 वर्ष पुराने हो चुके इन अग्निशमक सिलेंडरों को अक्रियाशील अवस्था में बताया गया है। ऐसे सिलेंडरों में 40 सीओटू श्रेणी के और 80 ड्राई केमिकल पाउडर वाले सिलेंडरों को बदलने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था।
आशा खबर / शिखा यादव 

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