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सीएम योगी के निर्देश के बाद भी मंत्री नहीं दे रहे राज्यमंत्रियों को काम, जिन्हें मिला वह भी संतुष्ट नहीं

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मुख्यमंत्री ने अपने साथ संबद्ध राज्यमंत्रियों को कार्य आवंटित कर दिए हैं और समय-समय पर बतौर प्रतिनिधि क्षेत्रों में भी भेजते हैं। लेकिन सरकार में कैबिनेट मंत्रियों और राज्यमंत्री-स्वतंत्र प्रभार से संबद्ध किए गए करीब आधा दर्जन से अधिक राज्यमंत्रियों को कामकाज का बंटवारा नहीं हुआ है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से समय-समय पर राज्यमंत्रियों को कार्य के बंटवारे के निर्देश के बाद भी प्रदेश सरकार के आधा दर्जन से ज्यादा कैबिनेट मंत्रियों और राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने राज्य मंत्रियों को कार्य आवंटन नहीं किया है। सरकार गठन के 125 दिन बाद भी कार्य का बंटवारा न होने से राज्यमंत्री आहत हैं। वहीं, कुछ राज्यमंत्रियों को जो काम मिला है, वह उससे संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने सरकार और संगठन में उचित स्तर पर इस पर असंतोष भी जताया है।

योगी सरकार के 53 सदस्यीय मंत्रिपरिषद में 20 राज्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री ने अपने साथ संबद्ध राज्यमंत्रियों को कार्य आवंटित कर दिए हैं और समय-समय पर बतौर प्रतिनिधि क्षेत्रों में भी भेजते हैं। लेकिन सरकार में कैबिनेट मंत्रियों और राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) से संबद्ध किए गए करीब आधा दर्जन से अधिक राज्यमंत्रियों को कामकाज का बंटवारा नहीं हुआ है।

जलशक्ति विभाग के दूसरे राज्यमंत्री रामकेश निषाद को भी काम का आवंटन नहीं हुआ है। हालांकि, वह कहते हैं कि जो भी काम दिया जाता है वह उसे करते हैं। ग्राम्य विकास राज्यमंत्री विजय लक्ष्मी गौतम को केवल गांवों में जाकर ग्राम्य विकास परियोजनाओं का निरीक्षण करने के लिए कहा गया है।

 

श्रम एवं सेवायोजन राज्यमंत्री मनोहर लाल मन्नू कोरी को विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से जुड़ा काम दिया है। इससे वह संतुष्ट नहीं हैं। कारागार राज्यमंत्री सुरेश राही, संसदीय कार्य और औद्योगिक विकास राज्यमंत्री जसवंत सैनी तथा उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी को भी कार्य आवंटन नहीं हुआ है लेकिन इनका कहना है कि कैबिनेट मंत्री के साथ सामूहिक रूप से काम कर रहे हैं।

इन्हें काम का आवंटन

लोक निर्माण विभाग के बृजेश सिंह, गन्ना विकास के संजय गंगवार, सहकारिता के संजीव गौंड, वन के केपी मलिक, ऊर्जा के सोमेंद्र तोमर और अल्पसंख्यक कल्याण के राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी को कामकाज का आवंटन हो गया है।

यह है समस्या

ज्यादातर राज्यमंत्रियों को केवल निरीक्षण, विधानसभा-विधान परिषद के सवालों व जनता के पत्रों का जवाब देने जैसे काम दिए गए हैं। विभागीय बैठकों में न बुलाना, विभागीय आदेश-निर्देश की सूचना न देना और तबादलों की सिफारिश पर सुनवाई न होना भी इनकी समस्या है।
आशा खबर /शिखा यादव

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