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जागरूकता का असर : वैज्ञानिक ढंग से औद्यानिकी खेती की ओर बढ़ रहे किसान

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प्रतिकात्मक फोटो

– औषधीय खेती की तरफ भी किसानों का बढ़ा है रूझान

सरकार द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान, वैज्ञानिक सलाह का अब जमीन पर भी असर दिखने लगा है। किसान खेती के प्रति काफी जागरूक हो चुके हैं। यही कारण है कि जो किसान मिर्च बाजार तक नहीं ले जा पाते थे। वह गाजीपुर से विदेश जाने लगा है। फल सब्जियों के प्रति भी सिर्फ पांच सालों में दोगुना रकबा बढ़ा है। वहीं, औषधीय खेती के प्रति भी किसानों का रूझान बढ़ रहा है।

सीमैप के जन संपर्क अधिकारी और विशेषज्ञ मनोज सेमवाल का कहना है कि जागरूकता का किसानों पर बहुत असर पड़ा है। आये दिन किसान औषधीय खेती के बारे में जानकारी करने के लिए उत्सुक रहते हैं। सीमैप हर वक्त वैज्ञानिक खेती का तरीका बताने के लिए सेमिनार भी कराता रहता है। इस जागरूकता अभियान का ही परिणाम है कि कभी चालीस हेक्टेयर तक जिस मिंट की खेती होती थी। अब बाराबंकी में 85 हजार हेक्टेयर मिंट की खेती हो रही है।

वहीं, गाजीपुर जिले के उद्यान अधिकारी डाक्टर शैलेन्द्र दुबे का कहना है कि हर सप्ताह किसी न किसी गांव में जाकर किसानों को जागरूक करने की योजना का अच्छा असर दिख रहा है। किसान अब जागरूक होने लगे हैं। इसी का परिणाम है कि दो साल में ही जिले में चार से पांच सौ हेक्टेयर औद्यानिकी खेती का रकबा बढ़ गया है। यहां अब ज्यादा फायदा देने वाली फसलों की तरफ किसान ध्यान देने लगे हैं। गाजीपुर में केला, मिर्च, प्याज और टमाटर की खेती करने में किसान ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

गोंडा के प्रगतिशील किसान अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि जागरूकता अभियान का कभी तुरंत असर नहीं दिखता। यह अब वैसे ही किसानों में दिख रहा है, जैसे प्रधानमंत्री द्वारा चलाए गये स्वच्छता अभियान का असर हर जनमानस पर दिखता है। बहुत किसान जागरूक होकर वैज्ञानिक ढंग से खेती करना शुरू कर दिये हैं। वहीं, बहुतेरे लोग इस ओर आगे बढ़ने के लिए उतावले हैं।

आशा खबर / शिखा यादव 

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