राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर जनपद के 17.94 लाख बालक एवं बालिकाओं को पेट से कीड़े निकालने के लिए बुधवार को अभियान के तहत एल्बेंडाजोल दवा खिलाना शुरू कर दिया। यह अभियान 25 से 27 जुलाई गुरूवार शाम तक चलेगा। यह दवा जो बीमार हैं या फिर कोई अन्य दवा का सेवन कर रहे है तो उन्हें कृमि नियंत्रण दवा नहीं दी जाएगी।
कानुपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.आलोक रंजन ने बताया कि बुधवार सुबह से जनपद के सभी स्कूल कॉलेज और आंगनबाड़ी केन्द्रों में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान के तहत एल्बेंडाजोल की गोली का वितरण शुरूकर दिया गया है।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान के तहत बच्चों कोएल्बेंडाजोल की गोली आज से खिलाना शुरू कर दिया है, इसके बाद 25 से 27 जुलाई तक मॉपअप चरण आयोजित होंगे। 17.94 लाख बालक-बालिकाओं को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है।
सीएमओ ने बताया कि एक से पांच साल तक के सभी पंजीकृत बच्चों को, 6 से 19 साल तक के स्कूल न जाने वाले सभी बालक-बालिकाओं एवं श्रमिक एवं घुमंतू बालक- बालिकाओं को आंगनबाड़ी केंद्र पर दवा खिलाई जाएगी। जबकि 6 से 19 तक के सभी छात्र-छात्राओं को सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, प्राइवेट स्कूलों, मदरसों में शिक्षकों के माध्यम से दवा वितरण शुरू कर दिया गया है।
बीमार बच्चों को नहीं दी जाएगीं दवाएं
एनडीडी के नोडल अधिकारी डॉ अरविन्द भूषण ने बताया कि ऐसे बच्चे जो बीमार हैं या फिर कोई अन्य दवा ले रहे हैं, उन्हें कृमि नियंत्रण की दवा नहीं खिलाई जाएगी। इसके लिए आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को निर्देश दिए गए है।
दवा खिलाने के तरीके
डीईआईसी मैनेजर अजीत सिंह ने बताया कि बच्चों को निर्धारित डोज के अनुसार दवा दी जाएगी। इसमें एक से दो वर्ष को बच्चों के अल्बेंडाजोल 400 एमजी टैबलेट को आधा कर उसका चूरा पानी के साथ खिलाना है। दो से तीन वर्ष के बच्चों को अल्बेंडाजोल 400 एमजी का एक टैबलेट चूर्ण कर पानी के साथ खिलाना है। इसके साथ ही तीन से 19 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों और किशोरों को एक पूरा टैबलेट चबाकर खिलाना है। इसके बाद ही पानी का सेवन करना है।
ऐसे फैलता है संक्रमण
डी.सी.पी.एम. योगेन्द्र पाल ने बताया कि नंगे पैर खेलना और घूमना, हाथ धोए बिना भोजन करना, खुले में शौंच करना, फल और सब्जियां बिना धोए खाना और दूषित भोजन करने से कृमि संक्रमण फैलता है|
कृमि संक्रमण के लक्षण
गंभीर कृमि संक्रमण से कई लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जैसे दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, उल्टी और भूख न लगना। बच्चे के पेट में कीड़े की मात्रा जितनी अधिक होगी, संक्रमित व्यक्ति के लक्षण उतने ही अधिक होंगे। हल्के संक्रमण वाले बच्चों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखते हैं।
कृमि मुक्ति के फायदे
स्वास्थ्य और पोषण में सुधारख,रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि, एनीमिया नियंत्रण, सीखने की क्षमता और कक्षा में उपस्थिति में सुधार भी आएगा।
आशा खबर / शिखा यादव