प्रदेश में हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोला जा रहा है, लेकिन चिकित्सा शिक्षा विभाग की लचर कार्यप्रणाली की वजह से अभी तक कॉलेजों को प्राचार्य तक नहीं मिल पाए हैं। स्थिति यह है कि 13 राजकीय मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ पांच में प्राचार्य कार्यरत हैं। बाकी आठ में प्राचार्य हैं ही नहीं। यहां जुगाड़ से कार्यवाहक प्राचार्य तैनात किए गए हैं।
प्रदेश में 13 मेडिकल कॉलेज कार्यवाहक प्राचार्य के भरोसे चल रहे हैं। इसमें आठ राजकीय मेडिकल कॉलेज और पांच स्वशासी राज्य मेडिकल कॉलेज हैं। कॉलेजों के प्रोफेसर को कार्यवाहक प्राचार्य बनाने से एक तरफ पढ़ाई तो दूसरी तरफ मरीजों का इलाज भी प्रभावित हो रहा है। कई कॉलेजों में दूसरे कॉलेज के प्रोफेसर को कार्यवाहक प्राचार्य बनाकर भेजा गया है। इसमें कुछ ऐसे भी हैं, जो प्राचार्य पद की योग्यता भी पूरी नहीं करते हैं।
प्रदेश में हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोला जा रहा है, लेकिन चिकित्सा शिक्षा विभाग की लचर कार्यप्रणाली की वजह से अभी तक कॉलेजों को प्राचार्य तक नहीं मिल पाए हैं। स्थिति यह है कि 13 राजकीय मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ पांच में प्राचार्य कार्यरत हैं। बाकी आठ में प्राचार्य हैं ही नहीं।
यहां जुगाड़ से कार्यवाहक प्राचार्य तैनात किए गए हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा में वहां के एक प्रोफेसर को कार्यवाहक प्राचार्य की तो दूसरे प्रोफेसर को बदायूं मेडिकल कॉलेज की जिम्मेदारी दी गई है। यही हाल जीएसवीएम कानपुर, एमएलबी मेडिकल कॉलेज झांसी, कन्नौज और आजमगढ़ का भी है। यहां के दो-दो प्रोफेसर कार्यवाहक प्राचार्य की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
प्रोफेसरों को प्राचार्य बनाए जाने से वे प्रशासनिक कार्य में ही व्यस्त रहते हैं। ये प्रोफेसर सर्जरी, ईएनटी और बाल रोग विभाग के हैं इस वजह से यहां मरीजों की भीड़ रहती है। ऐसे में मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के साथ ही मरीजों का उपचार भी प्रभावित हो रहा है। दूसरी बात यह है कि इन प्रोफेसरों के पद को खाली मानकर दूसरे प्रोफेसर की तैनाती भी नहीं की जा सकती है क्योंकि संबंधित प्रोफेसर का वेतन उनकी मूल तैनाती वाले कॉलेज से निकलती है।
मानकों की अनदेखी
कितने प्राचार्य हैं विभाग में
राजकीय मेडिकल कॉलेजों के लिए प्राचार्य का चयन आयोग से होता है, जबकि स्वशासी कॉलेजों के लिए चयन कमेटी तय करती है। चिकित्सा शिक्षा विभाग में राजकीय मेडिकल कॉलेज के लिए आठ प्राचार्य कार्यरत हैं, जिसमें डॉ. आनंद स्वरूप ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन कर रखा है।
इसी तरह दो साल पहले आयोग से डॉ. शिवकुमार और डॉ. सुनील कुमार आर्य का चयन हुआ था। लेकिन अलग-अलग कारणों से इन्हें ज्वॉइनिंग नहीं मिली। बाद में डॉ. शिवकुमार को स्वशासी मेडिकल कॉलेज जौनपुर में चयन हो गया। इसके बाद से अभी तक प्राचार्य पद नहीं भरा गया।
कितने कॉलेज हैं प्रदेश में
प्रदेश में 13 राजकीय मेडिकल कॉलेज हैं। इसी तरह 23 स्वशासी राज्य मेडिकल कॉलेज शुरू हो गए हैं, जबकि 14 का निर्माण चल रहा है। 16 मेडिकल कॉलेज पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत खोले जा रहे हैं, जिसमें दो को मंजूरी मिल गई है। अन्य पर कार्य चल रहा है।
कहां-कहां कार्यरत हैं कार्यवाहक प्राचार्य
1- आगरा डॉ. प्रशांत गुप्ता सर्जरी आगरा
2-कानपुर डॉ. संजय काला सर्जरी कानपुर
3- झांसी डॉ. एनएस सेंगर नेफ्रोलॉजी झांसी
4- बदायूं डॉ. धर्मेंद्र गुप्ता ईएनटी आगरा
5- जालौन डॉ. द्विजेंद्र नाथ पैथोलॉजी झांसी
6- कन्नौज डॉ. डीएस मर्तोलिया कम्युनिटी कन्नौज
7- आजमगढ़ डॉ. आरपी शर्मा कम्यूनिटी कानपुर
8- अंबेडकर नगर डॉ. संदीप ईएनटी कन्नौज
9- शाहजहांपुर डॉ. राजेश कुमार पीडियाट्रिक आजमगढ़
10 – बस्ती डॉ. मनोज कुमार फिजियोलॉजी बस्ती
11- एटा डॉ. नवनीत चौहान एनाटॉमी बस्ती
12- अयोध्या डॉ. सत्यजीत वर्मा सर्जरी अयोध्या
13- मिर्जापुर डॉ. विश्वजीत दास बायोकेमेस्ट्री मिर्जापुर
क्या कहते हैं जिम्मेदार
प्राचार्य केखाली पदों को भरने का प्रयास किया जा रहा है। राजकीय मेडिकल कॉलेजों के लिए अधियाचन भेजने की तैयारी है। स्वशासी के लिए भी जल्द ही आवेदन मांगे जाएंगे।
प्रक्रिया चल रही है।
आलोक कुमार, प्रमुख सचिव , चिकित्सा शिक्षा