राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ क्षेत्र में आतंकी कनेक्शन का इतिहास नया नहीं है। करीब 40 साल से पटना का यह इलाका आतंकी गतिविधियों को लेकर सुर्खियों में रहा है। आतंकी संगठन के गुर्गे यहां रह आतंकी गतिविधियों का प्रशिक्षण देते रहे हैं। देश के कई जगहों पर हुए बम ब्लास्ट सहित बड़ी घटनाओं के लिए फुलवारीशरीफ का नाम सुर्खियों में रहा है।
आतंकी गतिविधि में शामिल मोहम्मद जलालुद्दीन एवं अतहर परवेज 11 जुलाई को पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं। इनकी गिरफ्तारी के बाद स्थानीय विधायक गोपाल रविदास ने कहा था कि फुलवारीशरीफ उनका कार्यक्षेत्र रहा है और वह इन लोगों को अच्छी तरह जानते हैं। फुलवारीशरीफ नया टोला के एक वार्ड पार्षद पति मोहम्मद सलाउद्दीन ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहाथा कि वह यहां वर्षों से रहते हैं लेकिन उन्हें इस गतिविधि की कोई जानकारी नहीं थी।
वर्ष 1993 में कश्मीर में कुछ लोगों को आतंकी गतिविधि में शामिल होने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था। बाद में वे सभी जेल से छूट गए थे। उन सभी लोगों को 1997 के आसपास फुलवारी शरीफ के कई जगहों पर देखा गया था। खुफिया विभाग ने इस मामले पर अपनी रिपोर्ट दी थी। इससे पहले 1990 में आईबी इंटेलिजेंस और मिलिट्री इंटेलिजेंस ने फुलवारी शरीफ को सुरक्षित संदिग्ध गतिविधियों का सेंटर बताया था। इसके बाद 2001 में दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर लड्डू मियां एवं उनकी पत्नी का पासपोर्ट पुलिस ने जब्त किया था। ये दोनों फुलवारी शरीफ में ही रह कर काम करते थे।
गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस ने फुलवारी पहुंच कर जब इस मामले की छानबीन की और छापेमारी की तो पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी थी। इनमें पुलिस ने लगभग 12 फर्जी पासपोर्ट को फुलवारी शरीफ से बरामद हुए थे ।2001 में ही मो. अरशद उर्फ लड्डू मियां को स्पेशल ब्रांच की टीम ने फुलवारी शरीफ के नया टोला से गिरफ्तार किया था। लड्डू मियां पर उस वक्त के अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के कथित एजेंट होने का आरोप लगा था।
गोधरा हत्याकांड का मुख्य अभियुक्त हसीब रजा फुलवारी शरीफ का निवासी था। पुलिस ने हसीब रजा को सिम्मी के सक्रिय सदस्य होने और गोधरा हत्याकांड की साजिश रचने का मुख्य अभियुक्त बताते हुए पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया था।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच की टीम ने फुलवारीशरीफ निवासी समीम सरवर उर्फ पीर बाबा को अमेरिकी दूतावास उड़ाने के योजना के आरोप में नई दिल्ली स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया था। शमीम सरवर पर यह आरोप लगा था कि उनके पास भारी मात्रा में आरडीएक्स है और उसके तार सुडान के नागरिक से जुड़े हैं। लगभग 5 वर्षों तक जेल में रहने के बाद शमीम सरवर दोष मुक्त होकर फुलवारी शरीफ पहुंचा था। 2001 में कारगिल युद्ध में बिहार रेजिमेंटल सेंटर के सेना के जवानों ने आतंकी अड्डों को ध्वस्त कर डाला था। इससे नाराज आतंकियों ने बिहार रेजिमेंटल सेंटर को नुकसान पहुंचाने की योजना बनाई थी। उस वक्त तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्वराज पटना में उपस्थित थीं। 2001 में ही नकली नोट और 2005 में बनारस के पास जौनपुर स्टेशन पर नई दिल्ली से पटना जाने वाली श्रमजीवी एक्सप्रेस में कुकर बम सीरियल ब्लास्ट की घटना हुई थी। इसमें भी फुलवारी शरीफ का नाम उछला था।
बिहार की राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ में चल रही देश-विरोधी गतिविधियों के नेटवर्क के खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई में अहम सुराग मिले हैं। पुलिस को गजवा-ए-हिंद व्हाट्स ऐप ग्रुप को खंगालने के बाद जानकारी मिली कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, यमन व अरब देशों के कट्टरपंथी वर्ष 2023 में बिहार में जुटने वाले थे। उक्त ग्रुप में कई तरह के पोस्ट मिले हैं, जो मीटिंग की बात को पुष्टि कर रहे हैं। इ ग्रुप में जम्मू-कश्मीर की आतंकी गतिविधियों का समर्थन किया गया है। एसएसपी ने बताया कि इस ग्रुप से देश- विदेश के कई लोग जुड़े हुए हैं। पकड़े गए तारिक व अन्य के बैंक खातों को खंगाला जा रहा है। मामला विदेशों से भी जुड़ा है। इसलिए प्रर्वतन निदेशालय की भी मदद ली जाएगी।