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ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वेश्वर नाथ मंदिर विवाद

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इलाहाबाद हाईकोर्ट

ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वेवश्वर नाथ मंदिर विवाद मामले में सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। परंतु समयाभाव के चलते सुनवाई पूरी न हो सकी। विपक्षी पक्ष (मंदिर पक्ष) की ओर से पक्ष रखा गया। मंदिर पक्ष की ओर से कोर्ट को बताया गया कि निचली अदालत के आदेश पर कराए जा रहे सर्वे में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर शिवलिंग मिला है। इसके अलावा मंदिर से जुड़ी कई अन्य चीजें भी सामने आई हैं।

निचली अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के उस एरिया को सील करा दिया है। करीब एक घंटे तक चली सुनवाई में केवल मंदिर पक्ष की ओर से तथ्य पेश किए गए। कोर्ट ने समय की कमी को देखते हुए मामले की सुनवाई के लिए 20 मई की तिथि निर्धारित की है। उस दिन याची पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी अपना पक्ष प्रस्तुत करेगी।

इसके पहले सुनवाई शुरू होते हुए वाराणसी की जिला अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद के हो रहे सर्वे और सर्वे को लेकर सुप्रीमकोर्ट में केस की जानकारी कोर्ट ने दोनों पक्षों से स्थिति भी जाननी चाही। कोर्ट को बताया गया कि सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होगी। जबकि, निचली अदालत के आदेश पर सोमवार को भी सर्वे का काम जारी है।

मंदिर पक्ष की ओर से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी पेश हुए। उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे जारी है। सर्वे में एक बड़ा शिवलिंग मिला है। निचली अदालत ने उस एरिया को सील करा दिया है। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याची पक्ष की ओर से कहा गया कि सन् 1936 में दीन मोहम्मद, मोहम्मद हुसैन व मोहम्मद जकारिया ने बनारस अधीनस्थ अदालत में वाद दायर किया था। इसमें मौजा शहर खास, परगना देहात अमानत, बनारस गाटा 9130 रकबा एक बीघा, नौ बिस्वा, छह धूर, चबूतरा, पेड़, पक्का कुंआ आदि को वक्फ सम्पत्ति घोषित करने और अलविदा नमाज पढ़ने की प्रार्थना की गई थी। कोर्ट ने दावा साबित नहीं कर पाने के कारण वाद खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में प्रथम अपील दायर हुई। उन्होंने कहा कि याची पक्ष सुप्रीम के जिस पांच जजों की पीठ के फैसले पर भरोसा कर रहा है। उसके खिलाफ में राम जन्म भूमि वाले मामले में सात जजों की पीठ का फैसला ज्यादा महत्वपूर्ण है। ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में वह अधिक प्रभावी है।

–अगली सुनवाई पर वक्फ बोर्ड रखेगा अपना पक्ष

मंदिर पक्ष की ओर से तर्क दिए जाने के बाद मामले में पक्षकार वक्फ बोर्ड की ओर से भी पेश हुए अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखना चाहा लेकिन समय की कमी को देखते हुए कोर्ट ने उनकी बहस को नहीं सुना और 20 मई की तिथि तय कर दी। कोर्ट ने कहा कि मामले में आगे की सुनवाई पर वक्फ बोर्ड के पक्ष को पहले सुना जाएगा। इसके बाद मंदिर पक्ष की बाकी बहस को पूरा सुना जाएगा।

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