-सुप्रीम कोर्ट ने रेयान इंटरनेशनल स्कूल हत्याकांड मामले में केंद्र और बाल संरक्षण आयोग को दिया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल हत्याकांड के आरोपित के खिलाफ नाबालिग या बालिग किस तरह ट्रायल चले, इस पर फिर से विचार हो। जस्टिस हेमंत गुप्ता की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।
कोर्ट ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग को निर्देश दिया कि वो किसी नाबालिग के खिलाफ ट्रायल चलाने को लेकर उसकी मानसिक और शारीरिक क्षमता की पड़ताल करने के लिए एक दिशानिर्देश जारी करे। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के मुताबिक किसी नाबालिग के दोषी होने पर अधिकतम तीन साल की सजा हो सकती है। नाबालिग अपनी सजा के दौरान सुधार गृह में रहेगा। अगर नाबालिग के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के मुताबिक ट्रायल चलेगा तो उसे ज्यादा की सजा हो सकती है या उम्रकैद भी हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि 19 नवंबर, 2018 को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने 7 वर्षीय प्रद्युम्न की हत्या के आरोपित को बालिग मानने से इनकार कर दिया था। साथ ही जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के फैसले पर रोक भी लगा दी थी। 20 दिसंबर, 2017 को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने आरोपित पर बालिग की तरह केस चलाने का आदेश दिया था। सीबीआई ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस मामले में गिरफ्तार नाबालिग आरोपित पर बालिग की तरह मुकदमा चलाने की मांग की थी।
हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ मृतक छात्र के पिता बरुण ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया ता कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने पूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए आरोपित के खिलाफ बालिग की तरह केस चलाने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान बरुण ठाकुर के वकील सुशील टेकरीवाल ने कोर्ट से कहा था कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में हुए संशोधन के मुताबिक 16 से 18 साल के आरोपित के खिलाफ गंभीर आरोप हों तो बालिग की तरह केस चलाया जा सकता है। इसी के आधार पर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने आरोपित के खिलाफ बालिग की तरह केस चलाने का आदेश दिया था।
2017 में गुरुग्राम के रेयान स्कूल में दूसरी क्लास में पढ़ने वाले प्रद्युम्न का शव बाथरूम में मिला था। मामले की जांच कर रही सीबीआई ने कहा था कि पूरे मामले का दोषी स्कूल में 11वीं का वह छात्र था, जिसने बस परीक्षा और पैरेंट्स-टीचर मीटिंग (पीटीएम) टलवाने के लिए इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दिया।
आशा खबर /रेशमा सिंह पटेल