गुरु पूर्णिमा पर्व पर बुधवार को मुस्लिम महिलाओं ने हनुमान चालीसा फेम नाजनीन अंसारी के नेतृत्व में प्रतिवर्ष की भांति पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर और काशी धर्म परिषद के अध्यक्ष महंत बालक दास की विधिवत थाल सजाकर आरती उतारी और आशीर्वाद लिया। गुरु पीठ पर आसीन महंत बालक दास को सम्मान देने मुस्लिम समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचे। इसके चलते मठ में अलग नजारा दिखा, जो दिलों को जोड़ने वाला और नफरत को मोहब्बत में बदलने वाला था।
रामानन्द की परम्परा के गुरु बालक दास ने अपने मठ के दरवाजे सबके लिए खोल दिये हैं, चाहे वह मुस्लिम हो या दलित हो। इस अवसर पर मुस्लिम महिला फाउंडेशन की सदर नाज़नीन अंसारी ने कहा कि जिस पर गुरु की कृपा होती है, वे कभी गलत रास्ते का चुनाव नहीं करते। हम कबीर और रहीम को मानने वाले सनातनी मुसलमान हैं। हमारे पूर्वज हिंदू थे, उनका ही खून हमारे रगों में है। धर्म बदलने से हमारी संस्कृति नहीं बदलेगी। गुरु की पूजा भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। जो नफरत फैला रहे हैं वो अरबी संस्कृति को मानकर जिहाद कर रहे हैं। उनकी जगह हिन्दुस्तान में नहीं है। यहां सर तन से जुदा का नारा नहीं चलेगा, यहां की पवित्र धरती के आगे सर झुकाने की प्रथा चलेगी। काशी धर्म परिषद के अध्यक्ष महंत बालक दास ने कहा कि जिनकी आस्था सनातन संस्कृति में है वो कभी हिंसा के रास्ते पर नहीं जा सकते। गुरु की शरण में रहने वाला ही ईश्वर का कृपापात्र बन पाता है। मुस्लिम समाज के लोग भी भारतीय और सनातनी हैं। इनको अपने पूर्वजों के संस्कार नहीं छोड़ने चाहिए। पूर्वजों की परम्पराओं और गुरुओं के साथ रहने वाले मुसलमान हर जगह इज्जत के पात्र हैं। आज नफरत नहीं बल्कि प्रेम की जरूरत है।
भारतीय अवाम पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष नजमा परवीन ने कहा कि विकास और प्रकाश बिना गुरु के सम्भव नहीं हैं। खुदा, तलीम और तरक्की गुरु के बताए रास्ते पर चल कर ही मिल सकती है। इसलिए जीवन में एक गुरु का होना आवश्यक है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के पूर्वांचल संयोजक मो. अजहरुद्दीन ने कहा कि गुरुओं के देश में गुरु का सम्मान जरूरी है। भारत के गुरु गला काटना नहीं, गले मिलना सिखाते हैं। मठ में नगीना बेगम, नाजिया, शबनम, अर्चना भारतवंशी, डॉ. मृदुला जायसवाल, इली भारतवंशी, खुशी रमन भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी, गीता देवी, रेखा देवी आदि ने हाजिरी लगाई।
आशा खबर / शिखा यादाव