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अस्पताल संचालक समेत दो डॉक्टरों की भूमिका संदिग्ध, पुलिस चौकी के पास खेला खूनी खेल

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Prayagraj News : एसआरएन में भर्ती कातिलाना हमले में घायल पूर्व प्रधान संतोष सिंह।

फाफामऊ स्थित अस्पताल का संचालक और उसका साथी डॉक्टर पूर्व प्रधान संतोष सिंह के परिचित थे। अस्पताल ले जाते वक्त घायल पूर्व प्रधान ने पुलिस को बताया कि वह फाफामऊ के लिए साथी हरेंद्र को लेकर कार से निकला ही था।

नवाबगंज में पूर्व प्रधान पर फायरिंग व उसके दोस्त की हत्या के मामले में अस्पताल संचालक समेत दो डॉक्टरों की भूमिका संदेह के घेरे में है। इन्हीं में से एक ने वारदात से कुछ देर पहले पूर्व प्रधान के मोबाइल पर फोन किया था। उसने कहा था कि उसके दो परिचित भी फाफामऊ आ रहे हैं, ऐसे में वह उन्हें भी साथ ले ले। इसके बाद रास्ते में ही दो लोग कार में सवार हुए थे लेकिन वारदात के बाद ही वह गायब हो गए। ऐसे में डॉक्टरों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। फिलहाल पुलिस उनसे भी पूछताछ में जुटी रही।

सूत्रों के मुताबिक, फाफामऊ स्थित अस्पताल का संचालक और उसका साथी डॉक्टर पूर्व प्रधान संतोष सिंह के परिचित थे। अस्पताल ले जाते वक्त घायल पूर्व प्रधान ने पुलिस को बताया कि वह फाफामऊ के लिए साथी हरेंद्र को लेकर कार से निकला ही था। तभी फाफामऊ स्थित अस्पताल के संचालक का फोन आया। उसने उसकी अपने डॉक्टर मित्र से बात कराई। जिसने कहा कि उसके दो परिचित भी फाफामऊ आ रहे हैं। ऐसे में वह उन्हें भी साथ लेते आए। जिस पर पूर्व प्रधान ने रजामंदी दे दी।

रास्ते में कुंडा स्थित बाबागंज के पास उसे दो लोग मिले, जिन्हें वह पहचानता नहीं था। लेकिन डॉक्टर का नाम बताने पर उसने उसे अपनी कार में बैठा लिया। चौंकाने वाली बात यह थी कि श्रंग्वेरपुर में कार पर हमला होने के बाद जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो दोनों गायब थे। वह कौन थे और वारदात के तुरंत बाद कहां गायब हो गए, इसका पता लगाने में पुलिस देर रात जुटी रही। उधर घायल के बयान के बाद दोनों डॉक्टरों की भूमिका भी संदेह के घेर में है। पुलिस अफसरों का कहना है कि उनसे भी पूछताछ की जाएगी। 

Prayagraj News :  घटना के बाद रोते-बिलखते परिजन।
टॉयलेट जाने की कही थी बात
घायल पूर्व प्रधान ने पुलिस को एक और अहम जानकारी दी। बताया कि प्रयागराज-लखनऊ हाईवे से श्रृंग्वेरपुर धाम सर्विस रोड पर मुड़ने के दौरान ही कार में सवार दो लोगों ने टॉयलेट जाने की बात कहकर कार रोकने को कहा था। ऐसे में उसने कार की रफ्तार कुछ धीमी कर ली थी। इसी के बाद बाइकसवार हमलावरों ने असलहा दिखाकर कार रुकवा ली और उसके कुछ समझने से पहले ही फायरिंग शुरू कर दी।

कारसवार ही तो नहीं दे रहे थे लोकेशन?
पूर्व प्रधान की कार में बाबागंज से सवार होने वाले दो लोगों के घटना के तुरंत बाद गायब होने को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। आशंका यह भी जताई जा रही है कि कहीं वह दोनों ही तो नहीं थे जो पूर्व प्रधान व उसके साथी की पल-पल की लोकेशन शेयर कर रहे थे। दरअसल जिस तरह से सटीक ढंग से हत्यारों ने वारदात को अंजाम दिया, उससे यही माना जा रहा है कि इसके लिए पूर्व प्लानिंंग की गई। यही वजह रही कि हाईवे से सर्विस रोड पर मुड़ते ही हमलावरों ने कार को रोक लिया। एसपी गंगापार अभिषेक अग्रवाल का कहना है कि घटना के बाद गायब हुए कारसवार दोनों लोगों का पता लगाया जा रहा है। जिस डॉक्टर व उसके मित्र ने उन्हें कार में बैठाने के लिए पूर्व प्रधान के पास फोन किया, उनसे भी पूछताछ की जाएगी।

जमीन को लेकर होेने वाली थी डील
सूत्रों का यह भी कहना है कि जिस डॉक्टर ने कार में दो लोगों को सवार कराया था, उसकी एक जमीन को लेकर पूर्व प्रधान से डील होने वाली थी। प्रतापगढ़ की इस जमीन पर वह नर्सिंग होम खोलना चाहता था। सूत्रों का यह भी कहना है कि रविवार इसी जमीन से संबंधित डील भी होनी थी। पुलिस इसकी भी जांच में जुटी हुई है।

बेखौफ थे हमलावर, चौकी के पास खेला खूनी खेल

नवाबगंज में जिस तरह से सरेराह हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया, उससे साफ है कि हत्यारे पूरी तरह से बेखौफ थे। यही वजह थी कि चंद कदमों की दूरी पर पुलिस चौकी होने के बावजूद उन्होंने न सिर्फ वारदात की, बल्कि वहां से आसानी से भाग भी निकले। इसे लेकर पुलिस की सक्रियता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

जानकारों का कहना है कि वारदात जिस जगह अंजाम दी गई, वह हाईवे से लगभग सटी हुई है। हाईवे पर 24 घंटे वाहनों का आवागमन होता रहता है। श्रृंग्वेरपुर धाम सर्विस रोड, जिस पर वारदात हुई, उस पर भी राहगीरों के आने-जाने का सिलसिला रात तक चलता रहता है। दरअसल श्रृंग्वेरपुर घाट के साथ ही यहां आश्रम भी स्थित है। ऐसे में देर रात के बाद ही सन्नाटा इस रोड पर होता है।
इसके बावजूद बदमाशों ने हत्या के लिए इसी स्थान को चुना, तो इससे साफ है कि वह पूरी तरह से बेखौफ थे। उन्हें मालूम था कि जब तक पुलिस मौके पर पहुंचेगी, वह आराम से जा चुके होंगे। यही वजह रही कि ताबड़तोड़ गोलियां बरसाने के बावजूद उन्हें पकड़ा नहीं जा सका। जबकि स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि गोलियां चलने की आवाज निश्चित ही चौकी में बैठे पुलिसकर्मियों को भी सुनाई पड़ी होंगी।

चेकिंग का समय, असलहे लेकर कैसे घूमते रहे हमलावर?
वारदात से नवाबगंज पुलिस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल वारदात शाम के वक्त हुई। इस वक्त पर पुलिस आमतौर पर चौराहों व अन्य संवेदनशील स्थानों पर गश्त तो करती ही है, संदिग्धों की चेकिंग भी की जाती है। शासन का यह भी निर्देश है कि शाम के वक्त फुट पेट्रोलिंग अनिवार्य रूप से की जाए। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि बाइकसवार हमलावर दो-दो असलहे लेकर घूमते रहे तो पुलिस को कैसे इसकी भनक नहीं लगी।
लाखों के गहने लूट का अब तक खुलासा नहीं
नवाबगंज में कानून-व्यवस्था को चुनौती देने वाली यह पहली घटना नहीं। 28 अप्रैल को इसी तरह बेखौफ अंदाज में नवाबगंज चौराहे पर स्थित पूनम ज्वैलर्स में हुई लाखों की लूट का अब तक खुलासा नहीं हो सका है। बाइक से पहुंचे बदमाशों ने असलहा सटाकर सराफ संतोष सोनी को बंधक बना लिया था और इसके बाद सोने-चांदी के लाखों रुपये मूल्य केगहने लूटकर भाग निकले थे। दिनदहाड़े हुई इस वारदात को लेकर भी पुलिस की किरकिरी हुई थी। पुलिस अब तक लुटेरों का पता नहीं लगा पाई है।

खून से लथपथ हाल में बयां की वारदात, बताए हत्यारों केनाम
फायरिंग में लहुलुहान पूर्व प्रधान संतोष सिंह ने खून से लथपथ हाल में अपने व साथी पर हुए हमले की वारदात को बयां किया। घटनाक्रम के साथ ही हत्यारों का नाम भी बताया। इस दौरान उसने दोनों डॉक्टरों का भी नाम लिया, जिन्होंने उसे कार में दो लोगों को बैठाने को कहा था।
सूत्रों के मुताबिक, हमलावरों के जाने के बाद पूर्व प्रधान कार से निकलकर भागा। इस दौरान वह खून से लथपथ था। उसकेसिर के पिछले हिस्से में गोली लगी थी और काफी खून बह रहा था। जिससे उसकी शर्ट भी खून से लाल हो गई थी। एक राहगीर की मदद से वह पुलिस चौकी पर पहुंचा और पुलिस को घटना की जानकारी दी। दो डॉक्टरों का नाम लिया और बताया कि  उन्होंने अपने दो परिचितों को कार में बैठाने को कहा था। बाबागंज में मिलने दो लोगों ने उससे कहा था कि उन्हें लालगोपालगंज तक जाना है। इस दौरान वह सिर के पीछे हुए जख्म को हाथ से दबाए रहा था।

आशा खबर / शिखा यादव 

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