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दिल्ली हिंसा: राजद्रोह केस में उमर खालिद की जमानत याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई आज

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Delhi Riots : Delhi HC issues notice on Sharjeel Imam appeal says will hear Umar  Khalid and Sharjeel matter together - दिल्ली हिंसा : उमर खालिद और शरजील  इमाम की जमानत याचिका

दिल्ली हाईकोर्ट आज (सोमवार) दिल्ली हिंसा के आरोपित उमर खालिद की राजद्रोह के मामले में दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी। इससे पहले 30 मई को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा था कि हिंसा की साजिश रचने के आरोपित उमर खालिद का फरवरी 2020 को अमरावती में दिया गया भाषण दुर्भावनापूर्ण था लेकिन वो आतंकी कार्रवाई नहीं था।

उमर खालिद के वकील त्रिदिप पेस ने सुनवाई के दौरान अमरावती के भाषण को उद्धृत किया था। इस पर कोर्ट ने कहा था कि उमर का अमरावती में दिया गया बयान मानहानि वाला हो सकते है, उस पर दूसरे आरोप बन सकते हैं लेकिन वो आतंकी गतिविधि नहीं हो सकती। कोर्ट ने कहा था कि वो अभियोजन पक्ष को अपने पक्ष में दलील रखने का पूरा मौका देगा। हाई कोर्ट ने पहले भी कहा था कि उमर खालिद के अमरावती में दिए गए भाषण को जायज नहीं ठहराया जा सकता है और उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

उमर खालिद की ओर से पेश एक और वकील सान्या कुमार ने कुछ संरक्षित गवाहों के बयान पढ़कर कोर्ट को सुनाया और कहा कि किसी ने भी सीलमपुर में हुई बैठक को गुप्त बैठक नहीं कहा जैसा कि अभियोजन पक्ष ने कहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले की सह आरोपित नताशा नरवाल के कॉल डिटेल रिकॉर्ड के मुताबिक वो उस दिन सीलमपुर में नहीं थी।

पूर्व की सुनवाई में उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि उसके खिलाफ दाखिल चार्जशीट आधारहीन है और उसे केवल एक संरक्षित गवाह के झूठे बयान पर फंसाया गया है। 23 मई को पेस ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले भारत का हिस्सा बनना चाहते हैं। वे भारत की संप्रभुता के लिए कोई खतरा नहीं हैं। पेस ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने का मुख्य मकसद देश की एकता और अखंडता की रक्षा था। कोर्ट ने पेस से पूछा था कि क्या प्रदर्शनकारियों ने देश के नागरिकों के मन में असुरक्षा की भावना भर दी तो पेस ने कहा था कि हर चीज को आतंकी गतिविधि की तरह बताने की दलील से कोर्ट को बचना चाहिए।

सुनवाई के दौरान जस्टिस रजनीश भटनागर ने पेस से प्रधानमंत्री के ‘हिंदुस्तान में सब चंगा नहीं, हिंदुस्तान में सब नंगा सी’ संबंधी खालिद के भाषण पर पूछा। तब पेस ने कहा कि ये एक रूपक है जिसका मतलब है कि सच्चाई कुछ और है जो छिपाया जा रहा है। तब जस्टिस रजनीश भटनागर ने कहा कि प्रधानमंत्री के लिए कुछ दूसरे शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता था। तब पेस ने कहा कि भाषण 17 फरवरी, 2020 का था जिसमें उमर ने अपने मत प्रकट किया। इसका मतलब ये नहीं है कि ये एक अपराध है। इसे आतंक से कैसे जोड़ा जा सकता है। तब जस्टिस रजनीश भटनागर ने कहा कि सब नंगा सी तो वैसे ही है जैसे महात्मा गांधी के बारे में महारानी ने कहा था। तब पेस ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार से अपना विरोध दर्ज कराने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं।

उल्लेखनीय है कि 24 मार्च को कड़कड़डूमा कोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा के आरोपित उमर खालिद समेत दूसरे आरोपितों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि इस मामले में टेरर फंडिंग हुई थी। स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि इस मामले के आरोपित ताहिर हुसैन ने कालेधन को सफेद किया। उत्तर-पूर्वी दिल्ली की हिंसा में 53 लोगों की मौत हुई। 755 एफआईआर दर्ज हुईं। उमर को 13 सितंबर, 2020 को पूछताछ के बाद स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया। इसके बाद 17 सितंबर को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की चार्जशीट पर संज्ञान लिया। यह चार्जशीट स्पेशल सेल ने 16 सितंबर को दाखिल की थी।

आशा खबर /रेशमा सिंह पटेल

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