मारुति सुजूकी जैसी कंपनियां इस साल के अंत तक अपने पहले ईवी कार मॉडल का निर्यात करते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्यात बाजार में दस्तक देने की योजना बना रही हैं।
सरकार बार-बार भारत को वाहन उत्पादन का वैश्विक अड्डा बनाने की अपील कर रही है मगर बीएनपी पारिबा की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में उत्पादन के प्रतिशत के तौर पर देश से यात्री वाहनों का निर्यात (Car Export) एक दशक में सबसे कम रहा। एशियाई क्षेत्र को निर्यात के लिए वाहनों के उत्पादन में भी भारत की हिस्सेदारी जापान, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया एवं अन्य देशों से कम रही।
कैलेंडर वर्ष 2023 में देश में बने कुल यात्री वाहनों में से केवल 13 फीसदी निर्यात किए गए, जबकि 2022 में आंकड़ा 14 फीसदी था। कोविड महामारी से पहले 2019 में यह आंकड़ा 18 फीसदी रहा था।
साल 2014 में वाहनों के कुल उत्पादन में निर्यात की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 19 फीसदी रही, जिसे अभी तक लांघा नहीं जा सका है। कैलेंडर वर्ष 2023 में जापान में बनी कारों में से करीब 50 फीसदी का निर्यात हुआ। दक्षिण कोरिया ने कुल उत्पादन के 66 फीसदी, थाईलैंड ने 61 फीसदी और इंडोनेशिया ने 18 फीसदी वाहनों का निर्यात किया।
मारुति सुजूकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने उत्पादन में निर्यात की घटती हिस्सेदारी के बारे में कहा, ‘निर्यात के लिए आपको बड़ी कारों की जरूरत होती है, जिसमें दुनिया भर की कंपनियों को टक्कर देने के लिए उत्पादन की व्यापक सुविधाएं भारत में नहीं हैं। हमने मुख्य तौर पर छोटी कारों का निर्यात किया है और इनकी संख्या बढ़ी है, जो 2014 में 1 लाख वाहन ही थी।’
भारत में ह्युंडै मोटर्स के प्रेसिडेंट रह चुके और कई वाहन कंपनियों के निदेशक बीवीआर सुब्बू ने कहा, ‘देश की दो प्रमुख कार निर्माता कंपनियों टाटा मोटर्स और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने देसी बाजारों में जबरदस्त वृद्धि की है मगर वैश्विक स्तर पर वे कुछ खास नहीं कर पा रही हैं। निर्यात में उनके आंकड़े बड़े नहीं हैं। टोयोटा का भी यही हाल है, जो स्थानीय बाजार से ही संतुष्ट हो गए हैं। यह दुर्भाग्य की बात है। बजाज और टीवीएस जैसी दोपहिया कंपनियां इनसे एकदम उलट चल रही हैं।’
बीएनपी पारिबा के विश्लेषक (आईटी एवं वाहन) कुमार राकेश ने निर्यात में गिरावट की एक अन्य वजह बताई। उन्होंने कहा, ‘किसी समय भारत से होने वाले निर्यात में अमेरिकी वाहन कंपनियों की 35 फीसदी तक हिस्सेदारी होती थी।
उन्होंने देश से कारोबार खत्म कर दिया, जिसकी वजह से पिछले कुछ साल में निर्यात होने वाली गाड़ियों की संख्या पर असर पड़ा है।’ भारत को वाहनों का निर्यात बढ़ाने के लिए काफी कुछ करने की जरूरत होगी। मगर 2023 में यहां से 7,27,863 वाहनों का निर्यात हुआ, जो वैश्विक महामारी से पहले 2019 में हुए 7,47,430 के निर्यात आंकड़े से भी कम है।
राकेश ने कहा कि भारत में कंपनियां क्षमता बढ़ाने पर काफी निवेश कर रही हैं और उस बढ़ी हुई क्षमता का इस्तेमाल निर्यात के लिए भी किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘कुछ वैश्विक वाहन कंपनियां भारत को निर्यात केंद्र बनाने की तैयारी में हैं। इससे आगामी वर्षों में भारत से यात्री वाहनों के निर्यात को रफ्तार मिलेगी।’
अच्छी खबर यह है कि 2020 में सुस्ती के बावजूद निर्यात होने वाली गाड़ियों की संख्या बढ़ी और 2023 में 7,27,863 तक पहुंच गई। यह 2022 के 7,06,719 वाहनों के मुकाबले 3 फीसदी अधिक रही। मारुति सुजूकी जैसी कंपनियां इस साल के अंत तक अपने पहले ईवी कार मॉडल का निर्यात करते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्यात बाजार में दस्तक देने की योजना बना रही हैं।