पुष्पेंद्र सरोज लंदन में सीखे प्रबंधन के गुर अब सियासत में दिखाएंगे। डेढ़ महीने पहले ही पुष्पेंद्र सरोज 25 साल के हुए हैं। सपा ने कौशांबी से टिकट देकर मैदान में उतार दिया।
पुष्पेंद्र सरोज बमुश्किल डेढ़ महीने पहले ही 25 साल के हुए हैं। लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी से बीएससी अकाउंटिंग एंड मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। अब सबसे बड़ी सियासी परीक्षा के लिए मैदान में आ गए हैं।
पुष्पेंद्र पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज के पुत्र हैं। एक मार्च, 1999 को जन्मे पुष्पेंद्र तीन बड़ी बहनों के बाद सबसे छोटे हैं। वेल्हम ब्वॉयज स्कूल देहरादून में तीसरी से बारहवीं तक पढ़ाई के बाद स्नातक करने वह लंदन चले गए। लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी से बीएससी अकाउंटिंग एंड मैनेजमेंट की पढ़ाई 2019 में पूरी की। इसके बाद पिता की सियासत में हाथ बंटाने प्रयागराज आ गए।
समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ने की न्यूनतम अर्हता (25 साल) पूरी करते ही पुष्पेंद्र को कौशांबी लोकसभा से प्रत्याशी बना दिया है। 2019 में कौशांबी लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी हार गई थी।
तब पुष्पेंद्र के पिता इंद्रजीत मैदान में थे। भाजपा के विनोद कुमार सोनकर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में पुष्पेंद्र के सामने पिछले चुनाव में पिता को मिली हार को जीत में बदलकर अपनी सियासी दस्तक को यादगार बनाने की बड़ी चुनौती है।
पुष्पेंद्र कहते हैं, राजनीति में उनका प्रवेश जरूर जल्द हो रहा है, पर सियासी संस्कार मुझे बचपन से ही मिले हैं। पिता प्रारंभ से ही सियासत में रहे हैं और मैं उनके काम को देखते हुए बड़ा हुआ। पिता के काम को आगे बढ़ाएंगे।
पुष्पेंद्र कहते हैं, युवा बेरोजगारी और आम लोग महंगाई से जूझ रहे हैं। उनकी आवाज कोई नहीं सुन रहा है। इन मुद्दों को संसद तक पहुंचाने के लिए युवाओं का राजनीति में आना जरूरी है। पानी, स्वच्छता, बिजली और इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात तो खूब होती है, लेकिन काम नहीं। मैं जीतकर इन मुद्दों पर काम कराऊंगा। सबको सम्मान और सबको न्याय मेेरा संकल्प होगा।
पुष्पेंद्र कहते हैं कि लंदन की गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्वच्छता, अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जागरूकता ने काफी प्रभावित किया है। मैं अपने देश में इसे लागू करना चाहता हूं।
पुष्पेंद्र सरोज के पिता इंद्रजीत सरोज लंबे समय तक बसपा में रहे और तत्कालीन सीएम मायावती के विश्वस्त लोगों में गिने जाते थे। बसपा सरकार में वह तीन बार मंत्री बने। वह मंझनपुर से विधायक हैं। पांचवीं बार जीते हैं। वर्तमान में सपा में हैं और राष्ट्रीय महासचिव जैसी अहम जिम्मेदारी उनके पास है। पुष्पेंद्र को टिकट दिलाकर इंद्रजीत ने सपा में भी अपनी पकड़ साबित कर दी है। इंद्रजीत पूर्वांचल में पासी समाज के बड़े नेता माने जाते हैं।