पीडीडीयू नगर। नगर निवासी एक व्यक्ति का पुत्र बंगलुरू में रहता हैं। एक सप्ताह पहले उनके फोन पर कॉल आया। रिसीव करने पर उधर से आवाज आई-हैलो, आपका पुत्र अपने गर्लफ्रेंड के साथ दुष्कर्म करते पकड़ा गया है। उसको हमलोगों ने पकड़ लिया है। एक लाख रुपये जल्द भेजो वरना उसको जान से मार देंगे। किडनैपर ने उनके बेटे से भी बात कराई, वह रो रहा था और कह रहा था कि पापा मुझे बचा लो। यह सुनकर वे घबरा गए। किडनैपर से कहा कि मेरे पास अभी 50 हजार है, कहां भेजना है बता दो। वह अकाउंट नंबर भेजने लगा, इसी बीच थोड़ा शक होने पर उन्होंने सीओ अनिरूद्ध सिंह को फोन किया। सीओ ने कहा कि पहले आप अपने बेटे से बात करो। उन्होंने बेटे को कॉल किया तो उसने बताया कि मैं सुरक्षित हूं, मुझे कुछ नहीं हुआ है।
साइबर ठगी के ऐसे तमाम मामले आ रहे हैं। जिले में पहली बार एआई तकनीक से साइबर ठगी शुरू हो चुकी है। पिछले एक सप्ताह में पुलिस के सामने कई ऐसे मामले आए जो चौकाने वाले थे। नियामताबाद विकासखंड निवासी एक 16 वर्षीय किशोर के मोबाइल के नोटिफिकेशन में पोर्न वीडियो का लिंक आया। उसने क्लिक किया तो न्यूड वीडियो दिखाई देने लगा। उसने पूरा देखा। दूसरे दिन उसके नंबर पर वीडियो कॉल आया, सामने एक पुलिस अधिकारी बोल रहा था कि 10 हजार रुपये अभी भेजो वरना तुम्हें जेल भेज दूंगा। किशोर डर गया। पुलिस से संपर्क किया तो मामला फर्जी निकला।
चंदौली के युवक के मोबाइल पर उनके मित्र की आवाज में मैसेज आया कि मुझे 10 हजार रुपये की जरूरत है और उसने बिना पूछे दिए गए नंबर पर पैसे डाल दिए। बाद में पता चला कि ठगी हुई है।
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सीआरपीएफ जवान बनकर ठगी
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पीडीडीयू नगर के सीओ अनिरूद्ध सिंह ने बताया कि आर्मी के बाद अब सीआरपीएफ जवान बनकर भी ठगी किया जा रहा है। मेरी फेसबुक आइडी किसी ने हैक कर ली। मेरे एक संबंधी को फोन कर उनसे बोला कि मैं सीओ का मित्र हूं, सीआरपीएफ में जवान हूं। मेरा तबादला हो गया है, कीमती फर्नीचर पड़े हैं, जिसकी फोटो आपको भेजी है। इसे आप सस्ते मेें ले सकते हो। उन्होंने बिना पूछे 50 हजार रुपये उसके अकाउंट में एडवांस के रूप में डाल दिए। फिर मुझे फोन किया तो ठगी का पता लगा। पता किया तो अकाउंट होल्डर मध्यप्रदेश की एक महिला निकली। पैसे सहडौल के एटीएम से निकाले गए थे।
क्या होता है एआई
एआई यानि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है बनावटी (कृत्रिम) तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता। इसके जरिए कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे वैसे ही चलाया जाता है जैसे मानव मस्तिष्क काम करता है। इस तकनीक से किसी की भी आवाज कॉपी कर हूबहू उसी की आवाज में सुनाई जा सकती है। सामने वाले को एक बार भी ऐसा नहीं लगेगा कि यह उसके चाहने वाले की आवाज नहीं है। इसके तहत वीडियो और फोटो को भी एडिट कर आवाज प्रत्यारोपित किया जा सकता है। हाल ही में देश के कई बड़ी हस्तियां इसकी शिकार हुई थीं। जब उनको उनकी ही आवाज में एप पर प्रचार करते दिखाया गया।
कैसे करें बचाव
किसी भी तरह के ऑफर और लालच में ना आएं
अनजान व्यक्ति से फोन पर बात कर उसके बहकावे में ना आएं
अच्छी तरह जांच करने के बाद ही किसी भी बैंक खाते में राशि डालें।
फेसबुक, ट्विटर आईडी का पासवर्ड स्ट्रांग रखें, सरल पासवर्ड न रखें।
कोई रुपयों की मांग करता है, तो पहले जांच लें या मैसेज करने वाले से फोन पर संपर्क करें।
बैंक कर्मचारी कभी भी फोन पर डिटेल्स नहीं मांगते हैं
कोट—
एआई तकनीक से हूबहू आपके परिजनों की आवाज में ठग आपसे बात कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले अपने उक्त परिजन के मोबाइल पर फोन कर क्राॅस चेक जरूर कर लें। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। फेसबुक अकाउंट है तो उसके प्रोफाइल में फोन नंबर और ईमेल आईडी ओनली मी करके रखें। कोई भी दिक्कत होने पर तुरंत पुलिस से संपर्क करें। साइबर ठगी से बच सकते हैं।-अनिरूद्ध सिंह, डिप्टी एसपी