ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तहखाने को डीएम की सुपुर्दगी में दिए जाने के मामले में लार्ड विश्वेश्वर के वाद मित्र ने जिला अदालत में दलील दी कि आस्थावान हिंदुओं के अधिकार और हक के लिए पक्षकार बनना जरूरी है।
ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तहखाने को जिलाधिकारी की सुपुर्दगी में दिए जाने की मांग को लेकर दायर वाद में पक्षकार बनने के लिए लार्ड विश्वेश्वर के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने सोमवार को जिला जज की अदालत में लंबी बहस की।
दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने आदेश के लिए 8 दिसंबर की तारीख नियत की है। उन्होंने अदालत में दलील दी कि वादी शैलेंद्र पाठक और उनके भाई जैनेंद्र ने आठ जुलाई 2016 को ही ज्ञानवापी परिसर का हक व अधिकार काशी विश्वनाथ मंदिर के उप कार्यपालक अधिकारी को दिए जाने का पंजीकृत डीड कर दिया है।
पक्षकार बनने के लिए विजय शंकर रस्तोगी ने अदालत में कहा कि वादी के कार्य से प्राचीन मूर्ति स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर के हित एवं अधिकार, साधारण आस्थावान हिंदुओं के हक व अधिकार पर कुठाराघात करने की चेष्ठा है। जिसको बचाने के लिए स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर के वाद मित्र होने के कारण पक्षकार बनाया जाना आवश्यक है।