अखिलेश यादव की साइकिल यात्रा लोकसभा चुनाव में माहौल बनाने का काम करेगी। यात्रा का मुख्य मकसद अपने कोर वोटर को अपने साथ जोड़कर रखना है।
सपा साइकिल यात्रा के जरिये राजनीति की समाजवादी धारा को धार देने की लगातार कोशिश कर रही है। जिस तरह से अखिलेश यादव ने पीडीए के ए में सभी को समाहित किया, उससे संदेश साफ है कि सपा सबको साथ लेते हुए आगे बढ़ने की नीति अपनाएगी। लेकिन, उसकी निगाह इंडिया के साथ अपने मूल आधार माने जाने वाले मुस्लिम मतदाताओं पर भी टिकी है।
यही वजह रही कि लखनऊ में सोमवार को साइकिल यात्रा के समापन पर अखिलेश ने सामाजिक न्याय और जातीय जनगणना के मुद्दे दोहराए। साथ ही आजम खां और मुसलमानों के पक्ष में भी खुलकर बोले। उन्होंने आजम और सपा के बड़े नेताओं को जहां भाजपा के दबाव में झूठे मुकदमों में फंसाने की बात कही, वहीं यह भी बताया कि भाजपा राज में मुसलमानों के साथ अन्याय किया जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. संजय गुप्ता मानते हैं कि सपा नेतृत्व अच्छी तरह से समझ चुकी है कि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय फलक पर मजबूत दिखने पर ही अपने वोट बैंक को सहेज कर रख पाएगी। यही कारण रहा कि अखिलेश मीडिया के सवाल-जवाब में यह कहना नहीं भूले कि रविवार को जिस तरह से क्रिकेट मैच में भारत जीता, उसी तरह से आगे भी इंडिया (गठबंधन) जीतेगा।
वर्ष 2024 के चुनाव में सपा और उसके सहयोगी दल ऐतिहासिक सीटें जीतेंगे। महंगाई, बेरोजगारी, अन्याय और अग्निवीर सरीखे विपक्ष के मुद्दे फिर उनके केंद्र में दिखे। साइकिल रैली में शामिल युवा कार्यकर्ताओं व नेताओं का उत्साह और जगह-जगह स्वागत के लिए उमड़ा जनसमूह भविष्य के लिए भी संकेत दे रहा था।