पलानीस्वामी ने कहा कि पार्टी महासचिव के रूप में भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने का फैसला उनका अकेले का नहीं था, बल्कि यह पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा लिया गया एक सामूहिक निर्णय था।
भाजपा को हाल ही में तगड़ा झटका लगा है। तमिलनाडु में उसके सहयोगी अन्नाद्रमुक ने उससे नाता तोड़ लिया है। अब तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक महासचिव ईके पलानीस्वामी ने भाजपा के साथ चार साल पुराने गठबंधन को तोड़ने के पीछे का कारण बताया है। उनका कहना है कि यह फैसला दो करोड़ पार्टी कार्यकर्ताओं ने लिया है।
कभी-कभी गठबंधन…
अन्नाद्रमुक से जब पूछा गया कि उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन क्यों किया था। इस पर पलानीस्वामी ने कहा, ‘कभी-कभी राष्ट्रीय दलों के साथ गठबंधन करना पड़ता है। फिर कई बार ऐसे फैसलों का समर्थन भी करने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जो हमारे अनुकूल नहीं है। अब आगे से हमारे पास ऐसा कोई मुद्दा नहीं होगा’
अकेले का फैसला नहीं
पलानीस्वामी ने कहा कि पार्टी की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कहा गया कि उसने भाजपा के साथ अपना गठबंधन खत्म करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी महासचिव के रूप में भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने का फैसला उनका अकेले का नहीं था, बल्कि यह पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा लिया गया एक सामूहिक निर्णय था।
पलानीस्वामी ने एक बार फिर यह बात दोहरायी कि अगले साल के लोकसभा चुनाव के लिए अन्नाद्रमुक के नेतृत्व में एक गठबंधन बनाया जाएगा।
25 सितंबर को तोड़ा था नाता
अन्नाद्रमुक ने 25 सितंबर को भाजपा से अपना नाता तोड़ लिया था और पार्टी मुख्यालय में एक बैठक के बाद राजग गठबंधन से यह कहते हुए अलग हो गई थी कि भाजपा अन्नाद्रमुक के पूर्व नेताओं के बारे में अनावश्यक टिप्पणी कर रही है।
जेपी नड्डा से की थी शिकायत
अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेताओं ने दिल्ली में भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा से मुलाकात कर भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के अन्नामलाई की आक्रामक राजनीति से पैदा हुए हालातों के बारें में बताया था। उन्होंने तब अन्नामलाई से सीएन अन्नादुरई पर टिप्पणी करने के लिए माफी मांगने को कहा था।
बता दें, अन्नाद्रमुक ने 2019 के लोकसभा चुनाव और 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के दौरान सहयोगी के रूप में भाजपा के साथ गठबंधन किया था।