बंद के चलते विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए हैं। बंगलुरू सेंट्रल के डीसीपी टी टेक्कनावर ने बताया कि पर्याप्त संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई है।
बंगलुरू की सड़कों पर काफी कम लोग दिख रहे हैं। एक बस कंडक्टर ने बताया कि बंद की वजह से कैम्पेगोड़ा बस स्टॉप पर बहुत कम लोग हैं, जबकि आम तौर पर यहां काफी भीड़ रहती है। कावेरी जल विवाद के चलते लोग इतने नाराज हैं कि एक ऑटो ड्राइवर ने बंद का समर्थन करते हुए कहा कि विभिन्न संगठनों द्वारा बुलाए गए बंद का हम समर्थन करते हैं। हमारा स्टैंड साफ है कि हम किसी भी राज्य को पानी नहीं देंगे। सिर्फ रात में ऑटो चलेंगे। बंद के चलते विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए हैं। बंगलुरू सेंट्रल के डीसीपी टी टेक्कनावर ने बताया कि पर्याप्त संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई है। कमिश्नर के आदेश के मुताबिक किसी भी विरोध प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी जाएगी। फिलहाल ट्रैफिक सामान्य है।
क्या है विवाद
बता दें कि तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी जल विवाद लंबे समय से जारी है। साल 1892 और 1924 में मद्रास प्रेसीडेंसी और मैसूर साम्राज्य के बीच हुए दो समझौतों के तहत दोनों राज्यों में कावेरी नदी के पानी के बंटवारे पर सहमति बनी थी। पानी के बंटवारे पर असहमति को दूर करने के लिए साल 1990 में कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण की भी स्थापना की गई। पहले भी दोनों राज्यों के बीच पानी को लेकर विवाद हो चुका है। साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कर्नाटक को जून और मई के बीच तमिलनाडु के लिए 177 टीएमसी पानी छोड़ने का आदेश दिया था। लेकिन इस बार तमिलनाडु ने कर्नाटक से 15 हजार क्यूसेक और पानी छोड़ने की मांग की। कर्नाटक के विरोध के बाद कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण ने 10 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने की मांग की लेकिन तमिलनाडु का आरोप है कि कर्नाटक ने 10 हजार क्यूसेक पानी भी नहीं छोड़ा है। वहीं कर्नाटक का कहना है कि इस बार दक्षिण पश्चिम मानसून के नाकाम रहने के कारण कावेरी नदी क्षेत्र के जलाशयों में अपर्याप्त जल भंडार है। ऐसे में कर्नाटक ने पानी छोड़ने से इनकार कर दिया। जिससे यह मुद्दा गरमा गया।