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क्या पश्चिम बंगाल में टीएमसी से होगी कांग्रेस की फ्रेंडली फाइट? गठबंधन में रोज फंस रहे नए पेंच

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राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जिस तरह की परिस्थियां सामने आ रही हैं उससे एक बात स्पष्ट हो रही है कि आने वाले दिनों में कई राज्यों में गठबंधन के बीच में फ्रेंडली फाइट होने वाली है। इसमें पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच मुकाबला हो सकता है। जबकि दिल्ली में भी यही स्थिति आ सकती है…

आने वाले लोकसभा के चुनाव में क्या पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच में ‘फ्रेंडली फाइट’ होने की संभावनाएं बन रही हैं। दरअसल ममता बनर्जी की जर्मनी यात्रा पर जिस तरीके से कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया है, उससे सियासी गलियारों में अंदाजा यहीं लगाया जा रहा है कि दोनों दलों की आपसी तारतम्यता किस तरह से राज्य में चल रही है। यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी पर जमकर हमला बोला है। सियासी जानकारों का मानना है कि I.N.D.I गठबंधन की अहम पार्टी तृणमूल कांग्रेस पर जिस तरह अधीर रंजन चौधरी हमलावर हो जाते हैं, उससे एक बात तो स्पष्ट होती है कि दिल्ली में भले सब कुछ साधने की तस्वीर दिखती हो, लेकिन राज्य में वह माहौल नहीं है।

इस बार नया विवाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जर्मनी यात्रा को लेकर शुरू हुआ। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने पश्चिम बंगाल में फैले डेंगू और मैड्रिड में महंगे होटल में रुकने पर ममता बनर्जी को आड़े हाथों लिया है। चौधरी ने ममता बनर्जी को लेकर कहा जब पश्चिम बंगाल में डेंगू बीमारी फैली हुई है, तो ममता बनर्जी को राज्य छोड़कर जाने की क्या जरूरत थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ममता बनर्जी वेतन न लेने वालीं मुख्यमंत्री के तौर पर खुद को पेश करती हैं, बावजूद इसके वह मैड्रिड के महंगे होटल में रुकी। वरिष्ठ पत्रकार पूर्णेन्द्रु भट्टाचार्य बताते हैं कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की इस विजिट में जिस तरह कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मुख्यमंत्री को घेरा है, उससे एक बात तो स्पष्ट होती है कि कांग्रेस से लगातार राज्य स्तर पर दबाव तो बन ही रहा है। हालांकि इस दबाव का INDIA गठबंधन पर कोई असर पड़ेगा या नहीं पड़ेगा, यह तो कहना मुश्किल है। लेकिन राज्य में दोनों पार्टियों के बीच में हालात बिलकुल सामान्य स्थिति में नहीं कहा जा सकते।

ममता बनर्जी के विदेश दौरे की आलोचना करते हुए अधीर रंजन चौधरी कहते हैं कि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के लोगों को बेवकूफ बना रही है। उनका कहना है कि वह और पूरा पश्चिम बंगाल या जानना चाहता है कि ममता बनर्जी के स्पेन में आयोजित विश्व बांग्ला उद्योगपति सम्मेलन में शिरकत करने के बाद कितना निवेश उनके राज्य में आने वाला है। वह आरोप लगाते हैं कि जितना खर्च इस सम्मेलन में शिरकत करने पर ममता बनर्जी ने किया है, उसका अगर 10 फ़ीसदी भी वापस आ जाए, तो बंगाल के लाखों बेरोजगारों को बड़ा रोजगार मिल जाएगा। उन्होंने मांग की कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिए की कितनी और कौन सी स्पेनिश कंपनियां बंगाल में निवेश करने जा रही हैं।

दरअसल कांग्रेस के नेता अधिक रंजन चौधरी ने पहली बार ममता बनर्जी पर गठबंधन होने के बाद हमला नहीं बोला है। इससे पहले जी20 के आयोजन में शामिल होने पहुंचीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लेकर अधीर रंजन चौधरी जमकर भड़के थे। G20 में आयोजित डिनर में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शामिल होने पर चौधरी ने यह तक कह दिया था कि अगर ममता बनर्जी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होतीं, तो कौन सा आसमान नहीं टूट पड़ता। कांग्रेस के नेता के इस बयान के बाद तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने भी पलटवार किया था। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच चल रही इस जुबानी जंग का खामियाजा केंद्र स्तर के नेताओं पर तो नहीं पड़ने वाला, लेकिन राज्य में जरूर मतभेद पैदा हो रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार पूर्णेन्द्रु भट्टाचार्य कहते हैं कि अगर एक नजरिए से देखा जाए तो गठबंधन के तीन अहम दल कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और लेफ्ट के बीच में राज्य स्तर पर परिस्थितियां ठीक नहीं है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जिस तरह की परिस्थियां सामने आ रही हैं उससे एक बात स्पष्ट हो रही है कि आने वाले दिनों में कई राज्यों में गठबंधन के बीच में फ्रेंडली फाइट होने वाली है। इसमें पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच मुकाबला हो सकता है। जबकि दिल्ली में भी यही स्थिति आ सकती है। इसी तरह से केरल में लेफ्ट और कांग्रेस के बीच स्थिति बन सकती है। राजनीतिक विश्लेषक राजीव चंद्रा कहते हैं कि अखिलेश यादव जिस तरह से गठबंधन के बावजूद भी अलग अलग राज्यों में अपना विस्तार कर रहे हैं, उससे भी कई तरह के गठबंधन के दलों में आपसी एकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वह कहते हैं कि अखिलेश ने न सिर्फ मध्यप्रदेश में अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं, बल्कि राजस्थान में भी मजबूत स्थिति के लिए माहौल बनाने में जुटे हैं।

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