न्यूजीलैंड में बुधवार तड़के भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 5.6 मापी गई है। न्यूजीलैंड की राष्ट्रीय आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी ने बताया कि राहत की बात है कि भूकंप के कारण कोई हताहत नहीं हुआ है।
न्यूजीलैंड में बुधवार तड़के भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 5.6 मापी गई है। न्यूजीलैंड की राष्ट्रीय आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी ने बताया कि राहत की बात है कि भूकंप के कारण कोई हताहत नहीं हुआ है और न ही किसी प्रकार का कोई नुकसान हुआ है। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, भूकंप क्राइस्टचर्च से लगभग 124 किलोमीटर पश्चिम में मध्य दक्षिण द्वीप में आया था। जियोनेट निगरानी एजेंसी ने बताया कि 14,000 लोगों ने भूकंप महसूस होने की जानकारी दी है। एजेंसी ने लोगों के हवाले से बताया कि भूकंप के कारण कहीं-कहीं अलार्म भी बज गए थे।
लीसेस्टर झड़पों की समीक्षा के लिए ब्रिटिश पैनल में डॉ. शाह
भारतीय मूल के नस्ल संबंध विशेषज्ञ डॉ. समीर शाह को ब्रिटेन सरकार द्वारा गत वर्ष लीसेस्टर शहर में हुई अशांति की स्वतंत्र रूप से समीक्षा करने के लिए गठित तीन सदस्यीय पैनल में नामित किया गया है। पिछले साल लीसेस्टर में हुई झड़प में दो समूह आमने-सामने भिड़ गए थे। यह भिड़ंत दुबई में भारत-पाकिस्तान एशिया कप क्रिकेट मैच के बाद हुई। 70 वर्ष से अधिक उम्र के शाह को नस्ल व जातीय असमानताओं पर ब्रिटेन के आयोग के पूर्व आयुक्त के रूप में इस तरह की समीक्षा करने का अनुभव है।
मेरी उम्र पर मत जाइए, बाकी लोगों के मुकाबले मुझे ज्यादा अनुभव: बाइडन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा, मेरी उम्र पर मत जाइए। बाकियों के मुकाबले मुझे ज्यादा अनुभव है। बाइडन ने कहा, मैं अपनी उम्र को नहीं गिनता। मैंने यूक्रेन और कोविड जैसे संकटों को देखा है और इनसे निपटने में मदद की है। फिलहाल मेरा सारा ध्यान आगामी चुनाव पर है। डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी लोकतंत्र को नष्ट करना चाहते हैं और मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। 80 वर्षीय राष्ट्रपति ने कहा कि बहुत से लोग मेरी उम्र को निशाना बनाते हैं। लेकिन विश्वास मानिए कि मैं अपनी उम्र से भी ज्यादा जानता हूं। उन्होंने आगे कहा, मैं चुनाव लड़ रहा हूं क्योंकि लोकतंत्र दांव पर है। अब और कोई सवाल नहीं होना चाहिए।
यूएनएचआरसी में उठा पाकिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा
एक शोध विश्लेषक ने पाकिस्तान में सेना द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन और अत्याचारों का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 54वें सत्र में उठाया है। एम्स्टर्डम स्थित ईएफएसएएस थिंक-टैंक की शोध विश्लेषक मिशेला मुतोवसिव ने मंगलवार को जिनेवा में जबरन गायब होने पर कार्य समूह के साथ संवाद के दौरान अहम मुद्दे उठाकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की किरकिरी की है।उन्होंने देश की नीति के बतौर जबरन गायब होने, मनमाने ढंग से हिरासत में लेने, अपहरण और यातना द्वारा मानवाधिकार पैरोकारों, सियासी कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को निशाना बनाने पर चिंता जताई। मुतोवसिव ने कहा, संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह ने पाक में 800 मामलों की जांच की है, लेकिन जबरन गायब होने पर देश के जांच आयोग ने 8,000 से अधिक मामले दर्ज किए हैं।