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चुनाव आयुक्तों को शीर्ष कोर्ट के जज के बराबर दर्जा देने की तैयारी में सरकार, जानिए क्या है पूरा मामला

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विधेयक में सीईसी और ईसी को कैबिनेट सचिव के बराबर दर्जा दिए जाने का प्रावधान है। ऐसा किए जाने पर हालांकि इनके वेतन और सुविधाओं में कोई कमी नहीं होगी, मगर ये जज के अनुरूप नहीं बल्कि नौकरशाह माने जाएंगे।

सोमवार से शुरू हुए संसद के विशेष सत्र में मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और निर्वाचन आयुक्त (ईसी) की नियुक्ति संबंधी विधेयक पेश किए जाने पर संशय है। दरअसल विपक्ष के विरोध के बाद सरकार ने इस विधेयक पर पुनर्विचार करना शुरू किया है। सरकार सीईसी और ईसी को पहले की तरह सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर दर्जा दिए जाने संबंधी प्रावधान तय करने के लिए विधेयक में संशोधन पर विचार कर रही है।

दरअसल, इस विधेयक में सीईसी और ईसी को कैबिनेट सचिव के बराबर दर्जा दिए जाने का प्रावधान है। ऐसा किए जाने पर हालांकि इनके वेतन और सुविधाओं में कोई कमी नहीं होगी, मगर ये जज के अनुरूप नहीं बल्कि नौकरशाह माने जाएंगे। इसी आशय का हवाला दे कर रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा था। इस संबंध में  सरकारी सूत्र ने स्वीकार किया कि बीते सत्र में राज्यसभा में पेश किए गए विधेयक में इस आशय का संशोधन पर विचार किया जा रहा है। सीईसी-ईसी को पहले की तरह सुप्रीम कोर्ट के बराबर दर्जा दिए जाने पर हालांकि सैद्धांतिक सहमति है, मगर इस पर फिलहाल अंतिम फैसला नहीं हुआ है। यही कारण है कि सर्वदलीय बैठक में सरकार ने विशेष सत्र में पेश किए जाने वाले आठ विधेयकों की सूची विपक्ष को दी थी, उसमें इस विधेयक का नाम नहीं है।

तय नहीं है इसी सत्र में पेश होना
विधेयक को इसी सत्र में पेश किए जाने पर संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने सीधा जवाब नहीं दिया। जब उनसे पूछा गया कि पेश किए जाने वाले आठ विधेयकों की सूची में नियुक्ति विधेयक को शामिल क्यों नहीं किया गया है तो  उन्होंने कहा कि कौन से विधेयक पेश होंगे, इस संदर्भ में जितना बताना था उतना बता दिया गया है।

विपक्ष को कई दूसरे प्रावधानों पर भी है आपत्ति
विपक्ष को इस विधेयक के दूसरे कई प्रावधानों पर भी आपत्ति है। पहली आपत्ति नियुक्ति संबंधी कमेटी में देश के मुख्य न्यायाधीश को शामिल नहीं किए जाने की है। सरकार की प्रस्तावित कमेटी में पीएम, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष या सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता और एक केंद्रीय मंत्री को रखा गया है। इसी प्रकार सर्च कमेटी में भी नौकरशाहों की भूमिका तय की गई है। विपक्ष का कहना है कि बहुमत के साथ सरकार मनमाने तरीके से सीईसी-ईसी की नियुक्ति कर सकती है।

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