देश के 11 राज्यों बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, सिक्किम, त्रिपुरा, केरल और तेलंगाना में भी इस दौरान तापमान सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा दर्ज किया गया।
केरल, पुड्डुचेरी व अंडमान निकोबार दुनिया में बढ़ते तापमान से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में शामिल हैं। यहां जून से अगस्त, 2023 के बीच जलवायु परिवर्तन सूचकांक (सीएसआई) चार से ज्यादा रहा। यह जानकारी जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर काम कर रहे अंतराष्ट्रीय संगठन क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा जारी नई रिपोर्ट में सामने आई है। इस दौरान दो अन्य राज्यों मेघालय और गोवा में भी जलवायु परिवर्तन के चलते सीएसआई स्तर तीन से ज्यादा रिकॉर्ड किया गया।
हर इंसान ने जून से अगस्त के बीच बढ़ती तपिश को किया अनुभव
क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा बनाया क्लाइमेट शिफ्ट इंडेक्स (सीएसआई) इस बात की गणना करता है कि जलवायु में आता बदलाव दुनिया भर के अलग-अलग स्थानों पर तापमान को कैसे प्रभावित कर रहा है। यदि सीएसआई का स्तर तीन या उससे ज्यादा है तो इसका मतलब है कि स्थानीय परिस्थितयां कम से कम तीन गुना अधिक प्रभावित हुई हैं। यदि 1991 से 2020 के औसत तापमान की तुलना करें तो बिहार और झारखण्ड में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। इस दौरान बिहार में तापमान सामान्य से 1.6 डिग्री सेल्सियस तो झारखण्ड में 1.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया है। इसी तरह देश के 11 राज्यों बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, सिक्किम, त्रिपुरा, केरल और तेलंगाना में भी इस दौरान तापमान सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा दर्ज किया गया। क्लाइमेट सेंट्रल की रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया के करीब-करीब हर इंसान ने जून से अगस्त के बीच बढ़ती तपिश को अनुभव किया।
विश्व की 795 करोड़ आबादी रही प्रभावित
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने भी इस बात की पुष्टि की है कि पिछले तीन महीने अब तक की सबसे गर्म अवधि थी। भारत सहित दुनिया के 180 देशों और 22 क्षेत्रों में तापमान के किए इस विश्लेषण में पाया है कि दुनिया की 98 फीसदी आबादी मतलब की 795 करोड़ लोग बढ़ते इंसानी उत्सर्जन के चलते जून से अगस्त के बीच सामान्य से कम से कम दो गुना अधिक तापमान का सामना करने को मजबूर हुए।