अगले चार महीने में भारत का आदित्य एल1 अपने निर्धारित बिंदु पर पहुंचने के बाद यह रहस्य सुलझाने में मदद कर सकता है। आदित्य से मिली जानकारियां व डाटा कोरोना के मुख्य सतह से कई गुना ज्यादा गर्म होने का अबूझ रहस्य सुलझाने में पूरे विश्व की मदद कर सकती हैं।
सूर्य के ऊपरी वातावरण को मुख्यत: तीन परतों फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और कोरोना में बांटा गया है। इसके भीतर से आने वाली ऊर्जा इन तीनों परतों में ही प्रकाश व अन्य तत्वों में बदलती है, लेकिन सबसे बाहरी परत होने के बावजूद कोरोना का तापमान बाकी दो परतों से क्रमश : 500 व 200 गुना तक अधिक पाया गया है। इसकी वजह वैज्ञानिकों को नहीं पता है।अगले चार महीने में भारत का आदित्य एल1 अपने निर्धारित बिंदु पर पहुंचने के बाद यह रहस्य सुलझाने में मदद कर सकता है। आदित्य से मिली जानकारियां व डाटा कोरोना के मुख्य सतह से कई गुना ज्यादा गर्म होने का अबूझ रहस्य सुलझाने में पूरे विश्व की मदद कर सकती हैं।
फोटोस्फीयर
यहीं से निकला उजाला हम तक आठ मिनट में पहुंचता है : फोटोस्फीयर यानी… प्रकाश का गोला। सूर्य के वातावरण की यह पहली परत 500 किमी मोटी है। यहीं से सबसे ज्यादा ऊर्जा, हजारों किमी लंबी लपटें, एक्स-रे, यूवी रे, चुंबकीय विकिरण, रेडियो तरंगें बाहर आती हैं और यहीं से निकली किरणें हमारी पृथ्वी तक आठ मिनट में पहुंचती हैं। इसका तापमान 4,125 से 6,125 डिग्री सेल्सियस माना जाता है, जो सूर्य के केंद्र के मुकाबले कहीं कम है।