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‘फडणवीस अहंकारी हो गए हैं’, शिवसेना ने ‘सामना’ में लगाए आरोप तो भाजपा ने दिया ये जवाब

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बावनकुले ने कहा कि ‘जब भी उद्धव ठाकरे को किसी की आलोचना करनी होती है तो वह या तो सामना में लेख लिखते हैं या फिर संजय राउत को बयान के लिए आगे कर देते हैं। ठाकरे कुंठाग्रस्त हैं।’

शिवसेना (उद्धव बाला साहेब ठाकरे) का आरोप है कि देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बनने के बाद से अहंकारी और असहिष्णु हो गए हैं। शिवसेना (उद्धव बाला साहेब ठाकरे) ने ये भी कहा कि पहले फडणवीस सहिष्णु व्यक्ति थे लेकिन उपमुख्यमंत्री बनाए जाने से नाराज होकर वह अहंकारी और असहिष्णु बन गए हैं। वहीं शिवसेना के दावे पर भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और कहा कि विरोधियों की आलोचना करते समय मर्यादा बनाए रखनी चाहिए। भाजपा ने इस मुद्दे पर शिकायत दर्ज कराने की भी बात कही है।

क्या है पूरा मामला
शिवेसना (उद्धव) ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे एक लेख में फडणवीस को लेकर यह आरोप लगाए हैं। लेख में लिखा गया है कि ‘देवेंद्र फडणवीस ने अगर शिवसेना के साथ धोखेबाजी ना की होती तो उनकी सत्ता में वापसी हो जाती। हालांकि उनकी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें किनारे कर दिया और उपमुख्यमंत्री बना दिया…उन्हें अजित पवार के साथ उपमुख्यमंत्री पद साझा करना पड़ रहा है।’

‘ये फडणवीस ही थे, जिन्होंने एक बार कहा था कि वह अजित पवार को जेल भेजेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें कड़ी सजा मिले लेकिन अब फडणवीस क्या कर रहे हैं, वह उन्हीं अजित पवार के साथ सत्ता साझा कर रहे हैं।’ लेख में अजित पवार का नाम लिए बिना लिखा गया कि जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार और महिलाओं के उत्पीड़न के गंभीर आरोप हैं, वह आज फडणवीस के सहयोगी हैं। बता दें कि सामना के संपादक शिवसेना (यूबीटी) चीफ उद्धव ठाकरे हैं और कार्यकारी संपादक पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय राउत हैं।

भाजपा ने किया पलटवार
सामना के लेख पर भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा नेता बावनकुले ने कहा कि ‘सत्ता गंवाने के बाद उद्धव ठाकरे की समझ भी चली गई है। नागपुर में मीडिया से बात करते हुए बावनकुले ने कहा कि जब भी उद्धव ठाकरे को किसी की आलोचना करनी होती है तो वह या तो सामना में लेख लिखते हैं या फिर संजय राउत को बयान के लिए आगे कर देते हैं। ठाकरे कुंठाग्रस्त हैं। वह अपनी पार्टी का चुनाव चिन्ह भी गंवा चुके हैं और उन्हें इस बात का दुख है कि वह सत्ता में वापस नहीं लौट पाएंगे। एनसीपी ने भाजपा के साथ हाथ मिला लिया है और अब ठाकरे को एहसास हो गया है कि उन्होंने 2019 में फडणवीस की पीठ में छुरा घोंपकर गलत किया।’

सामना की भाषा पर आपत्ति जताते हुए बावनकुले ने कहा कि ‘अखबार में राजनीतिक विरोधियों की आलोचना करते हुए मर्यादा का ध्यान रखा जाना चाहिए। हमारे नेता जल्द ही इसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। इसे लेकर मुंबई में धरने प्रदर्शन भी हो सकते हैं। भाजपा ने कहा कि सामना में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर जो लिखा जा रहा है, उसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’

सीएम पद को लेकर हुआ था विवाद
उल्लेखनीय है कि देवेंद्र फडणवीस 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान शिवेसना (अविभाजित) उनकी सरकार में सहयोगी थी। 2019 के चुनाव में सीएम पद के विवाद में दोनों पार्टियों की राह जुदा हो गईं। इसके बाद शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाई। जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने 39 विधायकों के साथ ठाकरे से बगावत कर दी और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली। इस तरह शिवसेना दो टुकड़ों में बंट गई। नई सरकार में एकनाथ शिंदे सीएम बने और देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। अब एनसीपी नेता अजित पवार भी सरकार में शामिल हो गए हैं और अजित पवार को भी उपमुख्यमंत्री बनाया गया है।

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