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घर से काम कर रही महिला पर रखी गई इस तकनीक से नजर, सामने आया चौंकाने वाला सच; नौकरी से बर्खास्त

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सुजी शेखो को इस साल फरवरी में समय सीमा पूरी न करने, मीटिंग में अनुपस्थित रहने, संपर्क से बाहर रहने और एक कार्य पूरा करने में विफल रहने के कारण नौकरी से बाहर निकाल दिया गया था। इसके बाद उद्योग नियामक ने कंपनी पर जुर्माना लगाया था।

ऑस्ट्रेलिया से एक बड़ी दिलचस्प खबर सामने आई है। यहां की एक बीमा कंपनी ने 18 साल से काम कर रही एक महिला कर्मचारी को अचानक से बाहर का रास्ता दिखा दिया। दरअसल, कंपनी को कीस्ट्रोक तकनीक से पता चला था कि वह घर से काम करते समय पर्याप्त टाइपिंग नहीं कर रही थीं। बता दें, कीस्ट्रोक तकनीक से यह पता लगाया जा सकता है कि कीबोर्ड के बटनों को कितनी बार दबाया गया है।

पर्याप्त टाइपिंग नहीं करना पड़ा भारी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इंश्योरेंस ऑस्ट्रेलिया ग्रुप (आईएजी) की सलाहकार सुजी शेखो को घर से काम करते समय पर्याप्त टाइपिंग नहीं करने के कारण नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के फेयर वर्क कमीशन (एफडब्ल्यूसी) में याचिका दायर की थी, जिसे यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि उन्हें सही कारणों की वजह से बर्खास्त किया गया है। कमीशन का कहना था कि शेखो बीमा दस्तावेज बनाने, समयसीमा पूरा करने और अन्य भूमिकाओं के बीच घर से काम अनुपालन की निगरानी के लिए जिम्मेदार थीं।

महिला ने कंपनी पर लगाया आरोप
एफडब्ल्यूसी ने निर्णय देते हुए कहा कि शेखो को इस साल की फरवरी में समय सीमा पूरी न करने, मीटिंग में अनुपस्थित रहने, संपर्क से बाहर रहने और एक कार्य पूरा करने में विफल रहने के कारण नौकरी से बाहर निकाल दिया गया था। इसके बाद उद्योग नियामक ने आईएजी पर जुर्माना लगाया था। वहीं, एक महीने बाद महिला ने कंपनी पर आरोप लगाया कि उसे नौकरी से बाहर निकालने की पहले से ही योजना बनाई गई थी। उन्हें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के कारण उसे निशाना बनाया गया था।

इतने दिन नहीं किया काम
इस पर एफडब्ल्यूसी ने कहा कि बर्खास्त करने से पहले कंपनी ने महिला को चेतावनी दी थी। पिछले साल नवंबर में पूर्व महिला कर्मचारी को उनके काम के बारे में औपचारिक चेतावनी दी गई थी। साथ ही उनके काम पर नजर रखने के लिए योजना बनाई गई। इसके लिए कीस्ट्रोक तकनीक का इस्तेमाल किया गया। इसमें देखा गया कि अक्टूबर से दिसंबर तक 49 कार्य दिवसों में शेखो ने कितनी बार उसके कीबोर्ड पर बटन दबाए। इससे सामने आया कि महिला ने 47 दिन देर से काम शुरू किया, 44 दिन अपने निर्धारित घंटों में काम नहीं किया, 29 दिन जल्दी खत्म किया और चार दिन बिल्कुल भी काम नहीं किया।

घंटों-घंटों नहीं की गई टाइपिंग
इतना ही नहीं, तकनीक से यह भी पता चला कि महिला ने जितने दिन लॉग ऑन किया था, उनमें बहुत ही कम समय टाइपिंग की गई थी। अक्टूबर में 117 घंटों से अधिक, नवंबर में 143 घंटे और दिसंबर में 60 घंटे बिल्कुल टाइपिंग नहीं की गई थी। हालांकि, शेखो ने इससे मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि कभी-कभी सिस्टम संबंधी समस्याएं आने पर वह लॉग इन करने के लिए अपने लैपटॉप के अलावा अन्य उपकरणों का उपयोग करती थीं।

काम करने की अवधि बहुत ही निराशाजनक
एफडब्ल्यूसी के उपाध्यक्ष थॉमस रॉबर्ट्स ने कहा कि सबूतों से पता चलता है कि महिला कर्मचारी ने निर्धारित कार्य घंटों के दौरान काम नहीं किया। इसलिए उनकी याचिका को खारिज किया जाता है। उन्होंने कहा कि मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आवेदक को नौकरी से निकालने के पीछे का कारण कुछ और होगा। उनके काम करने की अवधि बहुत ही निराशाजनक है।

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