राहुल गांधी ने ‘भाजपा’ को ‘भारत माता’ की हत्या के बयान पर ही घेरने की कोशिश की। इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों ने सदन में राहुल गांधी का भरपूर सहयोग किया।
मणिपुर की दो दिवसीय यात्रा के दौरान कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ एक शब्द नहीं बोला था। उस वक्त कांग्रेस पार्टी को ‘राहुल’ की यह ‘सियासी समझ’ खासी रास आई थी। कांग्रेस पार्टी को लगा था कि वह ‘समझ’, कांग्रेस के लिए पूर्वोत्तर की सत्ता के द्वार खोलने में मददगार साबित होगी। चूंकि अब राहुल गांधी विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A का हिस्सा हैं तो राहुल ने अविश्वास प्रस्ताव पर उसी के मद्देनजर अपनी बात रखी। बुधवार को लोकसभा में इंडिया गठबंधन को राहुल गांधी की नई ‘सियासी’ समझ भी खूब रास आई। लोकसभा सदस्यता बहाल होने के बाद राहुल गांधी ने अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा, मणिपुर में हिन्दुस्तान का मर्डर किया गया है। भारत एक आवाज है। उस आवाज की हत्या मणिपुर में की गई है। भारत माता को मणिपुर में मारा गया है। आपके प्रधानमंत्री मणिपुर में नहीं जा रहे। राहुल गांधी ने ‘भाजपा’ को ‘भारत माता’ की हत्या के बयान पर ही घेरने की कोशिश की। इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों ने सदन में राहुल गांधी का भरपूर सहयोग किया।
बता दें कि राहुल गांधी ने मणिपुर हिंसा के बीच जब मणिपुर में कदम रखा तो भाजपा की तरफ से उन पर आरोपों की बौछार कर दी गई। उस वक्त भाजपा नेता संबित पात्रा ने कहा था, स्टूडेंट यूनियन राहुल के दौरे का बॉयकाट कर रही है। सिविल सर्विस आर्गेनाइजेशन को भी राहुल के दौरे पर एतराज है। कई जगहों पर महिलाओं का समूह भी विरोध प्रदर्शन कर रहा है। हालांकि इन सब बातों के बावजूद राहुल ने कोई राजनीतिक बयान नहीं दिया। कांग्रेस नेता खुश हुए थे कि कि राहुल के इस दौरे पर कोई विवाद नहीं हुआ। मणिपुर में जाने से पहले राहुल गांधी ने कहा था, पीएम मोदी अमेरिका की यात्रा पर हैं, उनके लिए मणिपुर पर सर्वदलीय बैठक महत्वपूर्ण नहीं थी। मणिपुर 50 दिनों से जल रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री चुप रहे। सर्वदलीय बैठक तब बुलाई गई, जब प्रधानमंत्री स्वयं देश में नहीं हैं।
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोइरांग में राहत शिविरों का दौरा कर हिंसा से पीड़ित लोगों का दुख दर्द जाना। उन्होंने इंफाल में सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। राहुल ने तब केवल इतना ही कहा था, ये घटना न केवल मणिपुर के लिए, बल्कि देश के लिए भी अत्यंत दु:खद और दर्दनाक है। वे बोले, हिंसा से कोई समाधान नहीं निकलने वाला है, सिर्फ शांति ही समाधान है। जिस तरह से राहुल ने अपने दौरे से पहले मणिपुर को लेकर पीएम पर निशाना साधा था, मगर मणिपुर यात्रा के दौरान वे बिल्कुल शांत रहे। उन्होंने केवल मणिपुर के लोगों की बात की। उन्होंने कहा, शांति ही आगे बढ़ने का रास्ता है। हर किसी को अब शांति व सद्भाव के बारे में बात करनी चाहिए। राज्य में शांति लाने के लिए वह हर संभव मदद करेंगे।
राजनीतिक जानकारों का कहना है, अविश्वास प्रस्ताव पर जारी बहस में अपनी बात रखते हुए राहुल गांधी ने जिस तरीके से अपनी संक्षिप्त बात में मोदी सरकार पर हमला बोला है, उससे उनकी नई सियासी समझ देखने को मिली है। राहुल गांधी ने कहा, मैं मणिपुर में गया, हमारे प्रधानमंत्री नहीं गए। उनके लिए मणिपुर ‘हिन्दुस्तान’ नहीं है। मणिपुर को आपने बांट दिया है। बतौर राहुल, मैं राहत कैंप में गया, महिलाओं से बात की। एक महिला ने कहा, मेरा छोटा सा बेटा, मेरी आंखों के सामने उसे गोली मार दी गई। मैं पूरी रात उसके शव के साथ बैठी रही। मुझे डर लगा तो अपना घर छोड़ दिया। मेरे पास ये फोटो ही बची है। दूसरे कैंप में एक महिला से पूछा, तुम्हारे साथ क्या हुआ। जैसे ही यह सवाल पूछा, वह एक सेकेंड में कांपने लगी। वह बेहोश हो गई। राहुल ने कहा, इन लोगों ने मणिपुर में ‘हिन्दुस्तान’ को मारा है। मणिपुर में हिन्दुस्तान का मर्डर किया गया है। भारत एक आवाज है। उस आवाज की हत्या मणिपुर में की गई है। भारत माता को मणिपुर में मारा गया है। आप देशद्रोही हो, इसलिए आपके प्रधानमंत्री मणिपुर में नहीं जा रहे। राहुल गांधी ने जिस तरीके से ‘भारत माता’ का नाम लेकर भाजपा पर हमला बोला है, उसमें राहुल की नई सियासी समझ नजर आती है।