चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने राज्य को यह बताने का निर्देश दिया कि कितनी प्राथमिकी हत्या व बलात्कार से संबंधित हैं और कितनी आगजनी, संपत्ति के नुकसान, महिलाओं की अस्मिता, धार्मिक स्थलों का विनाश व गंभीर चोट से संबंधित हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने हिंसाग्रस्त मणिपुर में दो महिलाओं से हुई हैवानियत को लेकर तीखे सवाल किए। पुलिसिया जांच पर सवाल उठाते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि महिलाओं के बयान हैं कि पुलिसवालों ने उन्हें भीड़ के हवाले कर दिया। क्या उन पुलिसकर्मियों से पूछताछ की गई है? क्या डीजीपी ने पूछताछ की है? डीजीपी क्या कर रहे हैं? यह उनका कर्तव्य है।सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने राज्य को यह बताने का निर्देश दिया कि कितनी प्राथमिकी हत्या व बलात्कार से संबंधित हैं और कितनी आगजनी, संपत्ति के नुकसान, महिलाओं की अस्मिता, धार्मिक स्थलों का विनाश व गंभीर चोट से संबंधित हैं। पीठ ने राज्य को घटना की तारीख, मुकदमों को दर्ज करने की तिथि, गिरफ्तारियां सहित तमाम विवरण के साथ सुनवाई की अगली तारीख पर आने के लिए कहा है
यौन हिंसा के सभी 11 मामलों की जांच सीबीआई करे : केंद्र
तुषार मेहता ने कहा कि हिंसा के मामलों की जांच सीबीआई को दी जाए। इसपर पीठ ने कहा, सभी केस सीबीआई को स्थानांतरित करना असंभव है क्योंकि इससे केंद्रीय एजेंसी भी टूट जाएगी। मेहता ने कहा, मौजूदा प्रस्ताव यौन हिंसा के 11 मामलों को सीबीआई को ट्रांसफर करने का है। इस पर सीजेआई ने कहा, इसलिए इन 6532 एफआईआर को विभाजित करने के लिए एक तंत्र की आवश्यकता है।