इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जीएसटी कानून की धारा सात को सांविधानिक करार देते हुए उसकी वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि माल व सेवा की आपूर्ति दोनों विक्रय की श्रेणी में शामिल है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने मेसर्स पैन फ्रेगरेंस प्रा. लि. कंपनी की याचिका पर दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि संसद और विधानसभा को अनुच्छेद 246(ए) के अंतर्गत कानून बनाने का अधिकार है। कानून जब तक अतार्किक या मनमाना न हो, कोर्ट को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा माल व सेवा की आपूर्ति दोनों बिक्री में शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि याची के नैसर्गिक न्याय के अधिकारों का हनन नहीं किया गया है। उसे अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया गया है। कोर्ट ने कहा याची चाहे तो असेसमेंट आदेश के खिलाफ अपील दाखिल कर सकता है।
याची का कहना था कि माल की आपूर्ति विक्रय नहीं है, इसलिए टैक्स के दायरे में नहीं आती। याची का कहना था कि जीएसटी कानून की धारा सात को संविधान के अनुच्छेद 246 ए के विरुद्ध होने के कारण असांविधानिक करार दिया जाए। सरकार की तरफ से कहा गया कि धारा सात वैधानिक है। विधायिका को कानून बनाने का अधिकार है। इससे किसी के मूल अधिकारों का उल्लघंन नहीं होता। कोर्ट ने कहा सरकार को कानून बनाने का अधिकार है। धारा सात असांविधानिकनहीं है।