अटाला की जिन गलियों से निकलकर पथराव, बमबाजी और आगजनी कर उपद्रवियों ने शहर की फिजा में जहर घोलने की कोशिश की थी, उन्हीं में से एक गली में रहने वाली दो नन्हीं बेटियों ने शुक्रवार को पत्थरबाजों को आईना दिखाया। उन्होंने तपती दुपहरी में अमन-चैन कायम रखने के लिए ड्यूटी दे रहे पुलिसर्मियों को पानी पिलाया।
अटाला से लेकर नूरुल्लाह रोड तक घूम-घूमकर जवानों को पानी की बोतलें बांटीं। उनकी इस पहल को देखकर अफसर भी बेहद प्रभावित हुए। डीएम व एसएसपी ने न सिर्फ दोनों को थैंक्यू कहा, बल्कि उन्हें आश्वासन भी दिया कि उनके जैसी तमाम बेटियों की सुरक्षा के लिए पुलिस-प्रशासन हमेशा तत्पर रहेगा।
शुक्रवार को शौकत अली मार्ग पर फोर्स गश्त पर थी और अफसरों की गाड़ियां भी हूटर बजाते हुए लगातार भ्रमणशील थीं। इसी दौरान दो बच्चियां दिखीं, जिन्होंने सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। मुस्लिम समुदाय की यह बच्चियां घूम-घूमकर सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों व आरएएफ के जवानों को पानी की बोतलें बांट रही थीं। बेहद गंभीर माहौल में बच्चियों को ऐसा करते देख सभी हैरान रह गए।
इसी दौरान वहां से अफसरों की फ्लीट गुजरी। डीएम संजय कुमार खत्री व एसएसपी अजय कुमार की नजर बच्चियों पर पड़ीं, तो वह भी हैरान रह गए। गाड़ियों से उतरकर दोनों अफसर बच्चियों के पास पहुंचे। उनसे उनका नाम पूछा तो पता चला कि दोनों बहनें हैं और उनका नाम हलीमा व सारा हैं।
बताया कि वह रोशनबाग की रहने वाली हैं। परिचय जानने के बाद दोनों अफसरों ने बच्चियों की सराहना की और उन्हें थैंक्यू भी कहा। साथ ही कहा कि उनके जैसी सोच हर व्यक्ति की हो जाए तो समाज की सूरत ही बदल जाए। यह भी आश्वासन दिया कि पुलिस-प्रशासन न सिर्फ उनकी बल्कि उनके जैसी तमाम बेटियों व समाज के अन्य लोगों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह मुस्तैद है।
‘सब मिल-जुलकर रहें, यही है दुआ’
पुलिसकर्मियों को पानी बांटने वाली हलीमा 14 और उसकी बहन सारा की उम्र महज दस साल की हैं। उनके पिता रेस्टारेंट चलाते हैं। जब उनसे पूछा गया कि पुलिसकर्मियों को पानी बांटने की बात दिमाग में कैसे आई, तो उनका कहना था कि तपती दुपहरी में जब एक पल भी खड़े होना मुश्किल है, तब इन हालात में पुलिस जिस तरह से ड्यूटी दे रही है, वह काबिलेतारीफ है। बताया कि उनका मकसद इंसानियत का पैगाम देना है। यह भी कहा कि हिंसा किसी भी तरह से जायज नहीं है। उनकी यही दुआ है कि सभी मिल-जुलकर रहें।