एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता कमाल फारूकी ने कहा कि यूसीसी देश की मिश्रित संस्कृति के खिलाफ है। अभी इसका प्रारूप भी सामने नहीं आया और देश में भय का माहौल कायम हो गया है। हम इस मुद्दे पर सभी संगठनों और हस्तियों के पास जाएंगे और यूसीसी के खिलाफ समर्थन मांगेंगे।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) व कई धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने बुधवार को कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का देश के सभी अल्पसंख्यक समुदाय विरोध करते हैं। उन्हें लगता है कि यह उनकी धार्मिक आजादी को आघात पहुंचाएगा और आरक्षण को समाप्त करेगा।
सिख पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रोफेसर जगमोहन सिंह ने कहा कि सभी संगठनों ने दिल्ली में वाईएमसीए में एक अहम बैठक की है। इसमें आदिवासी संगठन, बामसेफ, ईसाई संगठन, सिख तालमेल समूह, शिरोमणि आकाली दल दिल्ली व बौद्ध संगठन के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि सरकार हिंदी, हिंदू और हिंदूस्तान के नाम पर एक मुल्क एक कानून बनाकर अल्पसंख्यक समुदायों पर यूसीसी थोपने की तैयारी कर रही है। प्रो. जगमोहन ने यूसीसी पर सुप्रीमकोर्ट के रुख पर भी चिंता जाहिर की और कहा कि यह भारतीय जनमानस की भावनाओं के अनुकूल नहीं है। हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट इस संदर्भ में याचिकाओं को स्वीकार नहीं कर रहा है।