आशा कार्यकर्ताओं को प्राथमिक स्वास्थ्य के साथ ग्रामीण इलाकों में होने वाली बीमारियों के निदान के लिए जरूरी चिकित्सकीय ज्ञान व कौशल संपन्न बनाया जाएगा। इसमें सर्दी खांसी, जुखाम, बुखार, डायरिया, मौसम संबंधी बीमारियों समेत स्वास्थ्य संबंधी सामान्य बीमारियों के उपचार व दवाओं की जानकारी दी जाएगी।
शहर से लेकर गांव-गांव तक प्राथमिक चिकित्सा सेवाओं का पर्याय बन चुकी आशा कार्यकर्ता अब चिकित्सकीय सुविधाएं प्रदान करने में पहले से कहीं ज्यादा सक्षम बनेंगी। बीमारी के मुताबिक उनको दवाओं व जांच इत्यादि की जानकारी दी जाएगी ताकि वे डॉक्टरों का विकल्प बनकर काम कर सके। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश भर की 10 लाख आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देकर प्रमाणपत्र देने का निर्णय लिया है। इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं को प्राथमिक स्वास्थ्य के साथ ग्रामीण इलाकों में होने वाली बीमारियों के निदान के लिए जरूरी चिकित्सकीय ज्ञान व कौशल संपन्न बनाया जाएगा। इसमें सर्दी खांसी, जुखाम, बुखार, डायरिया, मौसम संबंधी बीमारियों समेत स्वास्थ्य संबंधी सामान्य बीमारियों के उपचार व दवाओं की जानकारी दी जाएगी। एनएचएम की ओर से प्रशिक्षण देने के बाद उनका टेस्ट भी लिया जाएगा, जिसमें सफल होने वाली आशाओं को सरकार प्रमाण पत्र देगी। इनके प्रशिक्षित होने पर सबसे ज्यादा फायदा सुदूर ग्रामीण इलाकों को होगा, जहां आज भी सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं नाममात्र की हैं, वहां ये आशा कार्यकर्ता ग्रामीणों के इलाज में खासी मददगार होंगी। वैसे तो आशा कार्यकर्ताओं के लिए सरकार समय-समय पर लघु प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करती रही लेकिन इतने व्यापक स्तर पर पहली बार प्रशिक्षण देने की योजना बनाई गई है।
ये होंगे फायदे
प्रशिक्षण के बाद प्रमाणपत्र धारक योग्य आशा कार्यकर्ता न सिर्फ पहले से ज्यादा बेहतर चिकित्सा सेवाएं देने में सक्षम होंगी बल्कि सामुदायिक स्तर पर दवाओं व डायग्नोस्टिक केयर की सलाह व चिकित्सा के लिए भी अधिकृत होंगी। इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) व नेशनल हेल्थ सिस्टम रिसोर्स सेंटर (एनएचएसआरसी) के साथ करार किया है।