प्रोफेसर डडली ने कहा, चीन में बड़ी संख्या में बुजुर्गों की देखभाल के लिए लोगों की भारी कमी पैदा हो जाएगी। भविष्य के जनसांख्यिकीय संकट को देखते हुए चीन के समक्ष दो ही विकल्प हैं। पहला- आबादी तेजी से बढ़ाई जाए लेकिन चीन में अधिक बच्चे पैदा करने वाली नीति नाकाफी साबित हुई।
कई सदियों से दुनिया की सर्वाधिक आबादी वाला देश चीन अब सिकुड़ रहा है। 2022 में यहां जन्म के मुकाबले मौतें ज्यादा दर्ज हुईं और यह जल्द ही इस मामले में भारत से आगे निकल जाएगा। चीन की जनसांख्यिकी के अध्ययनकर्ता प्रोफेसर डडली एल. पोस्टन जूनियर ने कहा, गिरती आबादी से चीन में आर्थिक मंदी आएगी।प्रोफेसर डडली ने कहा, चीन में बड़ी संख्या में बुजुर्गों की देखभाल के लिए लोगों की भारी कमी पैदा हो जाएगी। भविष्य के जनसांख्यिकीय संकट को देखते हुए चीन के समक्ष दो ही विकल्प हैं। पहला- आबादी तेजी से बढ़ाई जाए लेकिन चीन में अधिक बच्चे पैदा करने वाली नीति नाकाफी साबित हुई। दूसरा यह कि चीन आप्रवासियों को न्यौता देने वाली नीति अपनाए। अध्ययन के मुताबिक, 2022 में चीन में 1.04 करोड़ लोगों की मौत हुई जबकि 95.6 लाख बच्चे ही पैदा हुए। अध्ययन के अनुसार यदि वर्तमान रुझान जारी रहा है तो चीन को अपनी 1.4 अरब आबादी में एक-तिहाई से अधिक खोने की आशंका है।
औसत आयु 38 वर्ष हुई
चीन में औसत आयु 38 वर्ष है जबकि दो दशक पहले यह 28 वर्ष थी। 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग अब चीन की आबादी का कुल 14 प्रतिशत हैं जबकि भारत में यह 7 प्रतिशत है। 2015 में चीन ने एक बच्चे की नीति को छोड़ दिया, जिससे चीन में सभी जोड़ों को दो बच्चे पैदा करने की अनुमति मिल गई। 2021 में दो बच्चों की नीति को तीन बच्चों तक पहुंचा दिया गया। शादी करने वाले कर्मचारी जोड़ों को बच्चा पैदा करने के लिए विशेष अवकाश, सरकारी गिफ्ट और विशेष इंक्रीमेंट दिए जाने की घोषणा की गई। लेकिन आशा के विपरीत चीन की प्रजनन दर अब भी 1.2 है जबकि लक्ष्य 2.1 बच्चों का था।
जन्म दर में गिरावट रिकॉर्ड नीचे
चीन की जन्म दर में पिछले 6 साल से लगातार जारी गिरावट अब रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है। अब चीन में प्रति एक हजार लोगों के बीच बच्चों की जन्म दर महज 6.77 रह गई है। चीन में प्रजनन दर कम होने की वजह आबादी की बनावट भी है। भारत की आबादी इस वक्त चीन की औसत से एक दशक युवा है। चीन में आप्रवासियों की संख्या ही समस्या नहीं है बल्कि वहां की एक बड़ी आबादी देश छोड़कर जा रही है। 2017 से 2022 के बीच लगभग 20 लाख लोग अमेरिका या दूसरे देशों में रहने और काम करने चले गए, इनमें 85 प्रतिशत लोगों की आयु 25-30 वर्ष के बीच थी।