अभिनेत्री जोहरा सहगल आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। फिल्मों में अपने जबर्दस्त अभिनय से उन्होंने काफी नाम कमाया है।करीब 102 वर्ष का जीवन जीने के बाद एक्ट्रेस ने 10 जूलाई 2014 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। दिल का दौरा पड़ने से जोहरा का निधन हो गया। मगर लोग आज भी उनकी बेहतरीन अदाकारी के कायल हैं।
27 अप्रैल 1912 को रामपुर रियासत के नवाबी खानदान में जन्मी जोहरा का पूरा नाम साहिबजादी जोहरा मुमताजुल्ला खान बेगम था। एक्ट्रेस की जिंदगी बचपन में संघर्षों भरी रही। बचपन में ही उनकी मां का निधन हो गया। उनकी मां चाहती थीं कि जोहरा लाहौर जाकर पढ़ें इसलिए वह अपनी बहन के साथ क्वीन मैरी कॉलेज में दाखिला लेने चली गई। एक्ट्रेस स्कूल की लगातार टॉप करती रहीं।
मगर जोहरा के के पिता उनकी शादी करना चाहते थे। यह बात उनकी प्रिंसिपल को यह बात पसंद नहीं आई और उन्होंने लगातार उन्हें तीन बार फेल कर दिया, जिससे वह दसवीं में रहें। जोहरा ने स्कूल के दिनों में नाटकों और डांस में भाग लिया। पढ़ाई में अव्वल रहने वाली जोहरा देश की पहली महिला पायलट बनना चाहती थीं।
मगर उनके पिता ने इसकी इजाजत नहीं दी। इसके बाद उनके मामा ने उनके पिता से बात की और जोहरा की प्रतिभा देखते हुए उन्होंने कहा कि जोहरा को एक बार कुछ बनने का मौका दिया जाए। इसके बाद उनके पिता मान गए और जोहरा मामा के साथ इंग्लैंड चली गईं। इंग्लैंड में उन दिनों डांस का अच्छा माहौल नहीं था। इसलिए जोहरा ने जर्मनी का रुख किया और बर्लिन के एक डांस स्कूल में दाखिला ले लिया।
वह हर साल स्कूल ट्रिप से दुनियाभर की सैर पर जातीं। इस दौरान उन्हें दुनिया घूमने का खूब मौका मिला। जर्मनी में उनकी मुलाकात उदय शंकर से हुई और एक्ट्रेस उनके डांस ग्रुप में शामिल हो गईं। इसके बाद वो अल्मोड़ा आ गईं। साल 1945 में जोहरा ने पृथ्वी थिएटर ज्वॉइन कर लिया।
अभिनेत्री होने के साथ जोहरा एक कोरियोग्राफर भी थीं। उन्होंने ‘बाजी’, ‘सीआईडी’, ‘आवारा’ और ‘नौ दो ग्यारह’ जैसी सुपरहिट फिल्मों के लिए कोरियोग्राफी की। जोहरा आखिरी बार साल 2007 में संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘सांवरिया’ में नजर आई थीं। एक्ट्रेस को साल 1998 में पद्मश्री, 2010 में पद्मविभूषण सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें कालिदास सम्मान और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया।