हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार अब उसकी धमनी बिलकुल नई जैसी हो गई है। इस लेजर एंजियोप्लास्टी में उसे स्टेंट लगाने की जरूरत नहीं पड़ी जो आमतौर पर हार्ट अटैक में लगाई जाती है।
महाराष्ट्र में 23 साल के एक अकाउंटेंट को हार्ट अटैक आने पर डॉक्टरों ने लेजर एंजियोप्लास्टी के जरिये उसकी जान बचाई। सीने में तेज असहनीय दर्द उठने पर युवक किसी तरह वह हीरानंदानी अस्पताल पहुंचा था। जांच पर उसकी रक्त धमनी में बड़ा ब्लॉक नजर आया। कम उम्र को देखते हुए ब्लॉक को खोलने के लिए लेजर का उपयोग करने का निर्णय लिया गया।लेजर ने उसके क्लॉट को भाप बनाकर उड़ाया। हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार अब उसकी धमनी बिलकुल नई जैसी हो गई है। इस लेजर एंजियोप्लास्टी में उसे स्टेंट लगाने की जरूरत नहीं पड़ी जो आमतौर पर हार्ट अटैक में लगाई जाती है। यह तकनीक इस समय देश में करीब 20 अस्पताल उपलब्ध करवा रहे हैं। इसका उपयोग केवल बेहद जटिल, लाइलाज माने जा रहे, पहले से स्टेंट लगने के बावजूद धमनी सिकुड़ने और युवा हृदय रोगियों के मामलों में हो रहा है।हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार लेजर एंजियोप्लास्टी 40 वर्ष से कम उम्र के हृदय रोगियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
तकनीक
ब्लॉक नष्ट करती है… लेजर एंजियोप्लास्टी में प्रकाश की रेडिएशन के जरिये धमनी में जमे एथियोस्क्लोरोसिस व अन्य ब्लॉक नष्ट किए जाते हैं। इसका प्रयोग 80 के दशक में शुरू हुआ था। इस समय इसे लोकप्रियता मिल रही है क्योंकि पहले से बेहतर एक्सिमर लेजर विकसित हो चुकी हैं।