विशेषज्ञों ने भारत समेत 204 देशों और क्षेत्रों में ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) 2019 के डाटा का उपयोग करके 1990 से 2019 तक बच्चों में डायबिटीज के मामलों, इससे जुड़ी मृत्यु दर और इसकी वजह से हुई विकलांगता के रुझानों का विश्लेषण किया।
भारत में 1990 से 2019 के दौरान बच्चों में सबसे अधिक डायबिटीज के मामले और मौतें देखी गईं। यह बात जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन नेटवर्क में प्रकाशित एक अध्ययन में सामने आई है। इसके मुताबिक, वैश्विक स्तर पर 2019 में बच्चों में डायबिटीज के 2,27,580 मामले मिले, जिनमें 5,390 की मौत हो गई। 1990 के बाद से ऐसे मामलों में 39.4 फीसदी की वृद्धि हुई।
विशेषज्ञों ने भारत समेत 204 देशों और क्षेत्रों में ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) 2019 के डाटा का उपयोग करके 1990 से 2019 तक बच्चों में डायबिटीज के मामलों, इससे जुड़ी मृत्यु दर और इसकी वजह से हुई विकलांगता के रुझानों का विश्लेषण किया। विश्लेषण में 14,49,897 बच्चों को शामिल किया गया। इनमें से 7,38,923 लड़के और 7,10,984 लड़कियां शामिल थीं। इन्हें सामाजिक आर्थिक सूचकांक (एसडीआई) पर स्कोर के आधार पर वर्गीकृत किया गया जो 1 से 0 तक होता है। इन्हें निम्न, निम्न-मध्यम, मध्यम, उच्च मध्यम और उच्च वर्ग में बांटा गया।
एक से चार वर्ष के बच्चों में सबसे कम डायबिटीज के मामलों में सबसे अधिक 52.06 फीसदी की वृद्धि 10 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों में दर्ज की गई। सबसे कम 30.52 फीसदी की वृद्धि एक से चार वर्ष की आयु के बच्चों में देखी गई। भारत में डायबिटीज की दर 1990 में 10.92 और 2019 में 11.68 थी। यह दर अन्य देशों के मुकाबले सर्वाधिक थी।