केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि एनसीईआरटी के विशेषज्ञों की टीम ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति और एनसीएफ-एफएस की सिफारिशों के तहत पहली और दूसरी कक्षा के लिए पाठ्यक्रम तैयार किया है। पहली और दूसरी कक्षा के छात्रों के स्कूल बैग में गणित और भाषा की होंगी।
नन्हें-मुन्नों के कंधों से भारी-भरकम बैग का बोझ कम हो गया है। इस शैक्षणिक सत्र 2023-24 में पहली और दूसरी कक्षा के छात्रों के स्कूल बैग में सिर्फ गणित और भाषा की पुस्तकें होंगी।केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और बुनियादी स्तर के राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा (एनसीएफ-एफएस) 2022 के तहत पहली और दूसरी कक्षा के छात्रों के लिए गणित और भाषा की किताबों को जारी किया। उन्होंने कहा कि छात्रों का अब रटकर परीक्षा देने की बजाय कक्षा में लिखने-पढ़ने, सीखने और खेल के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा। खास बात यह है कि पहली और दूसरी कक्षा के छात्रों को भाषा विषय में अब अपनी मातृभाषा में पढ़ने का मौका मिलेगा। अमर उजाला ने 7 फरवरी को ही इस फैसले से संबंधित खबर प्रकाशित कर दी थीकेंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि एनसीईआरटी के विशेषज्ञों की टीम ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति और एनसीएफ-एफएस की सिफारिशों के तहत पहली और दूसरी कक्षा के लिए पाठ्यक्रम तैयार किया है। पहली और दूसरी कक्षा के छात्रों के स्कूल बैग में गणित और भाषा की होंगी। अन्य विषय वे कक्षा में गतिविधियों के माध्यम से सीखेंगे। शिक्षक बच्चे के माता-पिता के साथ नियमित मूल्याकन के आधार पर कमियों और सुधार पर बात करेंगे, ताकि बच्चे का संपूर्ण विकास हो।
अपनी भाषा को सीखने का मौका
तीन से आठ साल की आयु में बच्चा सबसे अधिक सीखता है। इसलिए भाषा विषय में उसे अपनी मातृभाषा में पढ़ाई का मौका मिलेगा। राज्य अपनी भाषा के तहत एनसीईआरटी की ओर से तैयार पाठ्यक्रम की किताबों से पढ़ाई करवा सकते हैं या फिर अपनी पाठ्यक्रम के तहत खुद किताब तैयार करवाने की आजादी होगी। इससे छात्र बचपन में ही अपनी मातृभाषा को जान और सीख पाएगा। उदाहरण के तौर पर कनार्टक में कन्नड़, केरल में मलयालम, तमिलनाडूृ में तमिल, गुजरात में गुजराती, पंजाब में पंजाबी, यूपी, राजस्थान, बिहार में हिंदी, पश्चिम बंगाल में बांग्ला में बच्चे पढ़ाई कर सकेंगे।
गणित की पुस्तकें 12 से 13 भाषाओं में
एनसीईआरटी गणित की किताब को 12 से 13 भाषाओं में तैयार कर रहा है। इसका मकसद है कि बचपन से ही छात्र को भाषा की बंदिश से आजादी मिलेगी। छात्र अपनी मातृभाषा में गणित की पढ़ाई कर सकेगा। इसमें हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू माध्यम भी शामिल है।