अनिल कपूर हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता हैं। सिनेमा की दुनिया में उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं। अनिल अपनी अदाकारी के लिए भी जाने जाते हैं। 66 की उम्र में भी 30-35 साल के युवा जैसे दिखने के लिए भी अनिल कपूर काफी मेहनत करते हैं। कुछ समय पहले उनकी सीरीज नाइट मैनेजर रिलीज हुई थी। अब आज यानि शुक्रवार को उसके दूसरे पार्ट ने भी दस्तक दे दी है। हाल ही में दिए एक इंटरव्यू के दौरान अनिल कपूर ने कहा है कि उनको फिल्मों की तुलना में इस शो में काम करने में बड़ा मजा आया।
मुंबई में हुए एक मीडिया कॉन्फ्रेंस में अभिनेता से पूछा गया कि ज्यादातर हिंदी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही हैं, इस पर उनकी क्या प्रतिक्रिया है। क्योंकि लोग कोविड-19 महामारी के बाद सिनेमाघरों में नहीं आ रहे हैं। अनिल ने इसे एक कठिन दौर बताते हुए कहा कि बॉलीवुड एक मजबूत इंडस्ट्री है और एक अभिनेता के रूप में अपने 40 साल से अधिक के करियर के दौरान उन्होंने ऐसे कई चरण देखे हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैं इतने साल से काम कर रहा हूं, मेरे पिता भी इस इंडस्ट्री में थे, इसलिए हम लगभग 60 साल से यहां हैं। अभिनेता, निर्देशक, निर्माता फिल्मों के चलने और न चलने के बारे में बात कर रहे हैं। यह सिलसिला पिछले काफी साल से चल रहा है। ऐसे चरण होते हैं। उदाहरण के लिए दो साल तक एक विशेष प्रकार की फिल्में नहीं चलती हैं तो लोग कहते हैं कि इंडस्ट्री बंद हो रही है। मैंने खुद अपने करियर में पांच से छह बार यह दौर देखा है, लेकिन ऐसा नहीं होता, ऐसा कभी नहीं होगा।’
अनिल कपूर ने कहा, यह ठीक उसी तरह है जैसे हर व्यक्ति अपने जीवन में उतार-चढ़ाव देखता है, इसलिए व्यवसाय के साथ भी ऐसा ही है, अच्छा और बुरा समय आएगा। कोरोना महामारी के बाद शाहिद कपूर की जर्सी, अजय देवगन और सिद्धार्थ मल्होत्रा की थैंक गॉड, टाइगर श्रॉफ की हीरोपंती 2, आयुष्मान खुराना की एन एक्शन हीरो, रणवीर सिंह की जयेशभाई जोरदार, कंगना रनौत की धाकड़, रणबीर कपूर और संजय दत्त की शमशेरा जैसी कई हिंदी फिल्में असफल रही हैं।
अनिल ने कहा कि जब भी इंडस्ट्री बुरे दौर से गुजरती है तो लोगों को यह देखना चाहिए कि वह कैसे इसे बेहतर कर सकते हैं और इंडस्ट्री कैसे विकसित हो सकती है। ‘मैं इसे सकारात्मक रूप से लेता हूं क्योंकि कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों ने यह समझने और कड़ी मेहनत करने, बेहतर करने और अच्छी फिल्में बनाने के लिए समय निकाला है। अब जो फिल्में हम देखेंगे वो बहुत अच्छी होंगी, दर्शकों को पसंद आएंगी। ऐसी स्थितियों में लोग बहुत कुछ सीखते हैं और जो नहीं सीखते, वे जीवित नहीं रह पाते। मुझे लगता है कि जो लोग अपने काम के प्रति ईमानदार हैं और अपना काम जानते हैं, जो अपनी कला जानते हैं, उनके लिए डरने की कोई बात नहीं है, उन्हें बस काम करते रहना है। फिल्में बनेंगी, अगर फिल्में अच्छी होंगी तो दर्शक देखने आएंगे और वह अच्छी फिल्में देख रहे हैं।