भारत-अमेरिका ने संयुक्त बयान में दोनों देशों की भावनाओं और इरादों को मजबूती से व्यक्त करते हुए कहा, हमारा सहयोग वैश्विक भलाई के लिए काम करेगा। विशेष रूप से क्वाड के जरिये हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्वतंत्रता, खुलापन, स्थिरता और शांति बनाने में योगदान करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अमेरिका के पहले राजकीय दौरे पर गए, तो पूरी दुनिया इस पर नजरें गड़ाए हुए थी। यह दौरा भारत-अमेरिका के संबंधों के लिए नया प्रतिमान बन गया। वहीं, इससे जहां चीन को सबक मिला है कि अकेला वही नहीं है, जो अमेरिका के साथ विन-विन ताल्लुकात रख सकता है। साथ ही पाकिस्तान को भी उसकी वास्तविक और क्रूर सच्चाई का आईना दिखाया गया है।
भारत-अमेरिका ने संयुक्त बयान में दोनों देशों की भावनाओं और इरादों को मजबूती से व्यक्त करते हुए कहा, हमारा सहयोग वैश्विक भलाई के लिए काम करेगा। विशेष रूप से क्वाड के जरिये हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्वतंत्रता, खुलापन, स्थिरता और शांति बनाने में योगदान करेंगे। संयुक्त बयान में इस तथ्य को खासतौर पर उभारा गया कि मानव उद्यम का कोई भी कोना दो महान लोकतांत्रिक देशों के बीच साझेदारी से अछूता नहीं है। दोनों के बीच अब सहयोग समुद्र से सितारों तक फैला है। एजेंसी
अहम समझौते नई विश्व व्यवस्था को देंगे आकार
दोनों देशों ने कई बड़े और अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जो नई विश्व व्यवस्था को आकार देंगे। विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा के मुताबिक, संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र में प्रौद्योगिकी सहयोग का क्षेत्र, तकनीकी हस्तांतरण, उत्पादों और सेवाओं में तकनीकी व्यापार, तकनीकी क्षमता निर्माण, तकनीकी सह-उत्पादन और अनुसंधान प्रमुख हैं। इस दौरे से उपजा द्विपक्षीय सौहार्द उन विविध क्षेत्रों में दिखता है, जिनमें अमेरिका भारत के साथ जुड़ने पर सहमत हुआ है।
चीन के सरकारी समाचार पत्रों को व्हाइट हाउस में ऐ मेरे वतन के लोगों…बजाया जाना नागवार गुजरा। चीनी मीडिया के मुताबिक, यह प्रतीकवाद भारत-अमेरिका संबंधों में अहम भूमिका निभाता है। खासतौर पर चीन के खिलाफ भारत को खड़ा करने की अमेरिकी इच्छा को व्यक्त करता है। चीन के विशेषज्ञों का दावा है कि भारत-अमेरिकी संबंध कोरे आशावाद पर टिके हैं, क्योंकि दोनों देश पूरी तरह से एकजुट नहीं हैं। हालांकि, यह अमेरिका के साथ फिर से मुनाफे का संबंध बनाने की चीन की क्षीण होती उम्मीदों और हताशा को दिखाता है।
पाकिस्तान बोला-नई दिल्ली के साथ सुर मिला रहा वाशिंगटन
पाकिस्तानी राजनेता व राजनयिक भी इस दौरे से विचलित हैं। वजह, भारत-अमेरिका संयुक्त वक्तव्य में सीमा पार आतंकवाद, आतंकवादी छद्मों के उपयोग की कड़ी निंदा और पाकिस्तान से यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई का आह्वान कि कोई भी आतंकी उसके क्षेत्र में न रहे। जाहिर है व्हाइट हाउस से भारत-अमेरिका की तरफ से मिलकर दिखाए गए आईने में पाकिस्तान को अपना क्रूर और स्याह चेहरा पसंद नहीं आया। पाकिस्तानी मीडिया ने भी फर्ज निभाते हुए कह डाला कि वाशिंगटन अब नई दिल्ली के सुर में सुर मिला रहा है।
रक्षा संबंधों से बढ़ेगा भरोसा
अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत जल्द ही आर्टेमिस समझौते में शामिल हो जाएगा, जो 2025 तक मनुष्यों को फिर से चंद्रमा पर भेजने का अमेरिका के नेतृत्व वाला प्रयास है। भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा देने में दीर्घकालिक लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए, अमेरिका स्थित जनरल एटॉमिक्स ने भारत में एक व्यापक वैश्विक एमआरओ सुविधा स्थापित करने का फैसला किया है। असल में यूक्रेन में रूस युद्ध लड़ रहा है, चीन विश्व शक्ति बनने के अपने मिशन पर है। अन्य देश भी विश्व मंच पर जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, ऐसे में अमेरिका को एहसास हुआ कि उसे हिंद-प्रशांत में एक साझेदार की जरूरत है, जो चीन के विरुद्ध एक प्रतिकारी ताकत बन सके।