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14 जुलाई को विपक्षी दलों की बैठक; शिमला या जयपुर में लग सकता है राजनीतिक दलों का जमावड़ा

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यह बैठक पटना में हुई पिछली बैठक में आए दलों के नेताओं की सहमति से हो रही है। इसमें एनसीपी, राजद, जद(यू), झामुमो, शिवसेना(यूटीबी), डीएमके, वामदल, समाजवादी पार्टी, एनसी, पीडीपी, तृणमूल समेत अन्य की सहमति है। माना जा रहा है कि इस बैठक में विपक्षी एकता के भविष्य का फॉर्मूला एक आकार ले लेगा।

विपक्षी एकता की कवायद के बीच विपक्षी दलों की अहम बैठक 14 जुलाई को होगी। इससे पहले यह बैठक 10 या 12 जुलाई को होनी थी। फिलहाल बैठक के लिए हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला को चुना गया है। हालांकि, अब खबर आ रही है कि यह बैठक शिमला की जगह जयपुर में भी आयोजित की जा सकती है। सूत्रों की मानें तो बैठक की जगह पर अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। बैठक का नेतृत्व कांग्रेस पार्टी करेगी।

इस बीच हिमाचल कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने दावा किया था कि यह महाबैठक ही 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत की नींव रखेगी। 1998 से 2003 तक देश में एनडीए की सरकार थी, तब एनडीए को सत्ता से बाहर करने के लिए शिमला में कांग्रेस का चिंतन शिविर हुआ था। इसका फायदा कांग्रेस को मिला था।

कांग्रेस के साथ जदयू-राजद, एनसीपी समेत प्रमुख विपक्षी दल
यह बैठक पटना में हुई पिछली बैठक में आए दलों के नेताओं की सहमति से हो रही है। इसमें एनसीपी, राजद, जद(यू), झामुमो, शिवसेना(यूटीबी), डीएमके, वामदल, समाजवादी पार्टी, एनसी, पीडीपी, तृणमूल समेत अन्य की सहमति है। माना जा रहा है कि इस बैठक में विपक्षी एकता के भविष्य का फॉर्मूला एक आकार ले लेगा।

केंद्र सरकार को चुनौती देने पर अंतिम सहमति बनी
इससे पहले 23 जून को बैठक में विपक्षी दलों ने एक होकर भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को चुनौती देने पर अंतिम सहमति बना ली गई थी। अब 14 जुलाई को बैठक में इस पर विस्तृत चर्चा के बाद गठबंधन के नाम और इसके राष्ट्रीय कन्वेनर के नाम पर सहमति बन सकती है। हालांकि, इससे पहले ही यह चर्चा तेज हो गई है। पटना बैठक में ही गठबंधन के एक महत्त्वपूर्ण सहयोगी ने गठबधन के नाम और उसके सहयोगी को लेकर एक संकेत दे दिया था। यदि किसी विपक्षी दल को इस पर आपत्ति न हुई तो शिमला बैठक के बाद इसकी औपचारिक तौर पर घोषणा की जा सकती है।

विपक्षी दलों के गठबंधन का नया नाम लगभग तय
पटना बैठक में शामिल विपक्षी दलों के एक महत्त्वपूर्ण सहयोगी ने संकेत दिया था कि सत्तारूढ़ एनडीए (नेशनल डेमोक्रैटिक एलायंस) के सामने विपक्ष अपने गठबंधन को पीडीए का नाम दे सकता है। इस पीडीए का विस्तार पेट्रियॉटिक डेमोक्रेटिक एलायंस हो सकता है। इसमें पेट्रियॉटिक शब्द जोड़कर विपक्ष यह बताने की कोशिश कर सकता है कि वे भाजपा से कहीं ज्यादा राष्ट्रवादी हैं।

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