भाजपा प्रवक्ता ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर निशाना साधा। कहा, जो लोग यूसीसी की आलोचना कर रहे हैं, उन्हें 14 जुलाई तक आयोग को अपने सुझाव देने चाहिए।
चुनावी साल में एक बार फिर मध्यप्रदेश में समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मामला चर्चा में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भोपाल में यूसीसी लागू करने की दिशा में खुद को संकल्पित बताया था। इसी को लेकर, भाजपा और एआईएमआईएम में एक बार फिर बहस छिड़ गई है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अधिवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि एआईएमआईएम प्रमुख सिर्फ कुरान पढ़ते है, संविधान नहीं। अगर उनकी कानूनी डिग्री फर्जी नहीं है, तो सबसे पहले उन्हें यूसीसी को लेकर विधि आयोग को सुझाव देना चाहिए।
14 जुलाई तक दें सुझाव
भाजपा प्रवक्ता ने एक टीवी डिबेट में भाग लिया था। उन्होंने इस दौरान ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर हमला किया। कहा, जो लोग यूसीसी की आलोचना कर रहे हैं, उन्हें 14 जुलाई तक आयोग को अपने सुझाव देने चाहिए।
पीएम का संबोधन
गौरतलब है, अमेरिकी दौरे से लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ अभियान के तहत भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि वर्तमान में समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो, तो वो घर नहीं चल पाएगा। ऐसे में दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? उन्होंने आगे कहा था कि संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट भी कह रही है कि कॉमन सिविल कोड लाओ।
पीएम के बयानों की विपक्ष ने आलोचना की
. ओवैसी ने आरोप लगाते हुए कहा कि पीएम मोदी ने शायद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की एक सलाह को ठीक से नहीं समझा। साथ ही ओवैसी ने पूछा, क्या आप हिंदू अविभाजित परिवार को खत्म कर देंगे?
बता दें, हाल ही में जब पीएम मोदी अमेरिका गए थे, तब ओबामा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर वह मोदी से मिले होते, तो वह उनसे धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बारे में बात करते। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा नहीं की गई तो भारत अलग हो सकता है।
ओवैसी ने आगे निशाना साधते हुए कहा कि पाकिस्तान का कानून पीएम मोदी की प्रेरणा क्यों बन गया है। दरअसल, पीएम ने अपने संबोधन में उन मुस्लिम-बहुल देशों का उदाहरण दिया था, जिन्होंने भारत से बहुत पहले तीन तलाक को खत्म कर दिया था। ओवैसी ने कहा कि देश में तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाया, लेकिन इससे जमीनी स्तर पर कोई फर्क नहीं पड़ा, जबकि महिलाओं का शोषण ही बढ़ गया।
. कांग्रेस ने समान नागरिक संहिता पर कोई टिप्पणी नहीं की। उसने कहा कि पीएम मोदी का इस मुद्दे का जिक्र करना मणिपुर में जो हो रहा है उससे ध्यान भटकाना है।
. वहीं, डीएमके ने यूसीसी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इसे हिंदू धर्म में लागू किया जाना चाहिए ताकि एससी/एसटी को मंदिर में प्रवेश मिल सके।
. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक संहिता पर पीएम मोदी के बयान के बाद इसका कड़ा विरोध करने का फैसला किया है।
यह है समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता का मतलब सबके लिए एक कानून से है। इसके तहत सभी धार्मिक समुदायों पर विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने और रखरखाव जैसे मसलों पर एक जैसा कानून लागू होगा। देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान आपराधिक संहिता तो है, लेकिन समान नागरिक कानून नहीं है।