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भाजपा जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष के मध्य जुलाई तक बदलाव के संकेत, अंदरखाने दावेदारी शुरू

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पार्टी सूत्रों की मानें तो प्रदेश के कुछ जिलों में परिवर्तन के संकेत हैं। इस परिवर्तन में उन जिलों को शामिल किए जाने का इशारा है, जहां एक व्यक्ति दो दो पदों पर हैं। जातीय संतुलन भी देखा जाएगा। जिले में अभी तक जिलाध्यक्ष पद पर जाट और महानगर अध्यक्ष पद पर ब्राह्मण पदाधिकारी हैं।

केंद्र व प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा के स्थानीय संगठन में बदलाव की चर्चाएं हो रही हैं। जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष पद पर नए सिरे से ताजपोशी होने की बातें शुरू हो गई हैं, लेकिन इसकी तस्वीर अभी पूरी तरह से साफ नहीं है। क्योंकि पहला सवाल ये है कि मौजूदा संगठन ही लोकसभा चुनाव तक यथावत रहेगा या फिर नया खड़ा किया जाएगा। दूसरा सवाल ये है कि जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष पद को लेकर चुनाव होगा या चयन। संकेत हैं कि जुलाई के मध्य तक संगठन में बदलाव हो सकता है।

पहले बात जिला संगठन की करें तो नियमानुसार एक पद पर एक ही व्यक्ति रह सकता है। मौजूदा जिलाध्यक्ष चौ.ऋषिपाल सिंह एक वर्ष से अधिक समय से एमएलसी स्थानीय निकाय हैं। उनके एमएलसी बनने के बाद से ही जिलाध्यक्ष पद पर बदलाव की कवायद तेज हो गई थी। बाद में संगठन स्तर से निकाय चुनाव के चलते प्रक्रिया को रोक दिया गया। चुनाव हो चुका है और भाजपा विजयी रही है। इसलिए फिर से बदलाव की बात शुरू हो गई है।

महानगर संगठन में मौजूदा महानगर अध्यक्ष डा.विवेक सारस्वत लगातार दो बार से बरकरार हैं। इस पर भी बदलाव को लेकर निकाय चुनाव से पहले चर्चाएं चल रही थीं। खुद विवेक सारस्वत ने मेयर पद के लिए दावेदारी की थी, तब से ही माना जा रहा था कि उन्हें टिकट मिला तो पद बदला जाएगा। हालांकि टिकट नहीं मिलने के चलते उन्होंने निकाय चुनाव लड़ाया और भाजपा मेयर पद जीती। अब फिर से इस पद पर बदलाव की चर्चा है।

पार्टी सूत्रों की मानें तो प्रदेश के कुछ जिलों में परिवर्तन के संकेत हैं। इस परिवर्तन में उन जिलों को शामिल किए जाने का इशारा है, जहां एक व्यक्ति दो दो पदों पर हैं। जातीय संतुलन भी देखा जाएगा। जिले में अभी तक जिलाध्यक्ष पद पर जाट और महानगर अध्यक्ष पद पर ब्राह्मण पदाधिकारी हैं। इधर, चर्चाओं और संकेतों के बीच दोनों पदों के लिए दावेदारों ने दौड़ तेज कर दी है। सबके अपने अपने प्रयास हैं। वहीं मौजूदा संगठन के सरपरस्तों का प्रयास है कि उनके नेतृत्व में ही लोकसभा चुनाव लड़ा जाए। चुनाव बाद बदलाव किया जाए। पार्टी के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि जुलाई मध्य तक तस्वीर साफ हो जाएगी।

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