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चार सौ असिस्टेंट प्रोफेसरों की नौकरी पर अब कोई संकट नहीं, सात साल से चला आ रहा विवाद खत्म

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अशासकीय महाविद्यालयों में वर्ष 2016 से पहले अशासकीय महाविद्यालयों में केवल इंटरव्यू के आधार पर असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर चयन किया जाता था। वर्ष 2016 में जारी विज्ञापन संख्या-46 के तहत पहली बार लिखित परीक्षा आयोजित की गई और इसी विज्ञापन से अंत: संबद्ध विषयों का विवाद भी शुरू हो गया।

प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में अंत: संबद्ध विषयों लेकर सात साल से चला आ रहा विवाद खत्म हो गया है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग (यूपीएचईएससी) की ओर से अब तक लिए गए निर्णयों पर शासन ने मुहर लगा दी है। ऐसे में तकरीबन 400 असिस्टेंट प्रोफेसरों की नौकरी पर मंडरा रहे संकट के बादल भी छंट गए हैं

अशासकीय महाविद्यालयों में वर्ष 2016 से पहले अशासकीय महाविद्यालयों में केवल इंटरव्यू के आधार पर असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर चयन किया जाता था। वर्ष 2016 में जारी विज्ञापन संख्या-46 के तहत पहली बार लिखित परीक्षा आयोजित की गई और इसी विज्ञापन से अंत: संबद्ध विषयों का विवाद भी शुरू हो गया। इस भर्ती में कई ऐसे अभ्यर्थियों ने भी आवेदन किए, जिनके विषय भर्ती में शामिल ही नहीं थे।

हालांकि, आयोग ने जिन विषयों के विज्ञापन जारी किए थे, अभ्यर्थियों के विषय उनसे अंत: संबद्ध थे। इन्हीं में एक अभ्यर्थी मनीष सोनकर ने भी आवेदन किया था। मनीष ने पर्यावरण विज्ञान से पीजी किया था और जंतु विज्ञान विषय का फॉर्म भरा था। लिखित परीक्षा में सफल होने के बाद इंटरव्यू में पहुंचने पर आयोग ने मनीष सोनकर का अभ्यर्थन निरस्त कर दिया।

कोर्ट ने शासन से अनुमोदन लेने का दिया है निर्देश

मनीष ने इसका विरोध करते आपत्ति दर्ज कराई कि पर्यावरण विज्ञान विषय जंतु विज्ञान विज्ञान विषय से अंत: संबद्ध है। अभ्यर्थी कोर्ट गया और कोर्ट ने अभ्यर्थी के दावे को सही मानते हुए राहत प्रदान की। इसके बाद आयोग में एक कमेटी का गठन किया गया और कमेटी ने भी अभ्यर्थी को दावे को सही ठहराया। इस आधार पर मनीष सहित चार अभ्यर्थियों को चयनित घोषित करते हुए नियुक्ति प्रदान की गई।

कोर्ट ने इस पर शासन से अनुमोदन लेने के लिए भी कहा। आयोग ने कमेटी के निर्णय को शासन के पास भेज दिया और शासन ने भी उस पर मुहर लगा दी। इसके बाद विज्ञापन संख्या-47 और विज्ञापन संख्या-50 के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती की गई और अंत: संबद्ध विषयों के विवाद से संबंधित जितने मामले थे, आयोग ने कमेटियां गठित करते हुए उनका निराकरण कराया।

इन तीनों विज्ञापनों के तहत अंत: संबद्ध विषयों से जुड़े तकरीबन 400 चयनितों को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नौकरी प्रदान की गई और इन सभी मामलों में कमेटियों की ओर से लिए गए निर्णयों से शासन को अवगत कराया जाता रहा, लेकिन मनीष सोनकर प्रकरण के बाद अन्य मामलों में शासन की ओर से निर्णय पर आधिकारिक रूप से मुहर नहीं लगाई गई।

भविष्य में विवाद हुआ तो खतरे में पड़ेगी नौकरी

ऐसे में आयेाग को यह आशंका भी सता रही थी कि भविष्य में विवाद हुआ तो इन शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। इसके बाद आयोग ने फिर से प्रयास शुरू किया। मई के पहले सप्ताह में अपर मुख्य सचिव सुधीर महादेव बोबड़े ने आयोग के अफसराें के साथ ऑनलाइन बैठक की और पांच मई को आयोग के उप सचिव शिवजी मालवीय को लखनऊ बुला लिया।

उप सचिव से पूरा मामले समझने के बाद अब शासन ने विज्ञापन संख्या-46, 47 एवं 50 के तहत अंत: संबद्ध विषयों को लेकर आयोग की ओर से गठित कमेटियों के निर्णयों पर मुहर लगा दी है। साथ ही भविष्य में भी इसी के अनुरूप भर्ती करने के आदेश दिए हैं। आयोग विज्ञापन संख्या-51 के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर के 1017 पदों भर्ती करने जा रहा है। शासन के आदेश के बाद नई भर्ती में अब अंत: संबद्ध विषयों को लेकर कोई विवाद नहीं रह जाएगा।

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