गो फर्स्ट के कुल कर्ज में बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक, आईडीबीआई बैंक, एक्सिस बैंक और डच बैंक समेत अन्य बैंकों की हिस्सेदारी 6,521 करोड़ रुपये है। इसमें सेंट्रल बैंक का विमानन कंपनी पर कुल 2,000 करोड़ का कर्ज है।
देश की तीसरी सबसे बड़ी विमानन कंपनी गो फर्स्ट पर बैंकों समेत अन्य कर्जदाताओं का 11,463 करोड़ रुपये कर्ज है। संकटग्रस्त कंपनी अगर दिवालिया हो जाती है तो इससे कुल कर्ज वसूली में मुश्किल आ सकती है। साथ ही, कंपनी के करीब 5,000 कर्मचारियों की नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है।
दरअसल, कुल कर्ज में बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक, आईडीबीआई बैंक, एक्सिस बैंक और डच बैंक समेत अन्य बैंकों की हिस्सेदारी 6,521 करोड़ रुपये है। इसमें सेंट्रल बैंक का विमानन कंपनी पर कुल 2,000 करोड़ का कर्ज है। वहीं, सेंट्रल बैंक व बैंक ऑफ बड़ौदा ने समूह बनाकर गो फर्स्ट को 1,300 करोड़ का कर्ज दिया है। कोरोना में शुरू की गई सरकार की आपात ऋण गारंटी योजना के तहत भी कंपनी ने 1,292 करोड़ का कर्ज ले रखा है।
गो फर्स्ट ने पहले भी ऑपरेशनल क्रेडिटर्स को किए जाने वाले भुगतान में डिफॉल्ट किया है। कंपनी की ओर से वेंडर्स को 1,202 करोड़ रुपये और एयरक्राफ्ट लीजर्स को 2,660 करोड़ रुपये का भुगतान करना था, जो अब तक नहीं किया गया है।
गो फर्स्ट को इंजन आपूर्ति करने वाली अमेरिकी एयरोस्पेस प्रमुख प्रैट एंड व्हिटनी (पीएंडडब्ल्यू) के करीबी सूत्रों का दावा है कि विमानन कंपनी का इंजन विनिर्माता के प्रति वित्तीय दायित्वों से चूकने का लंबा इतिहास रहा है। पीएंडडब्ल्यू ने कहा, हम अपने एयरलाइन ग्राहकों की सफलता के लिए प्रतिबद्ध है। हमने सभी ग्राहकों के लिए आपूर्ति समय-सीमा को प्राथमिकता दी है। पीएंडडब्ल्यू गो फर्स्ट से संबंधित मार्च, 2023 के मध्यस्थता फैसले का अनुपालन कर रही है। यह मामला अब मुकदमेबाजी में चला गया है, ऐसे में हम इस पर अधिक कुछ नहीं कहेंगे।
गो फर्स्ट के सीईओ कौशिक खोना ने कहा, प्रैट एंड व्हिटनी इंजन में बार-बार आने वाली दिक्कतों से यह संकट पैदा हुआ है। उन्होंने कर्मचारियों को भेजे संदेश में कहा, पीएंडडब्ल्यू के इंजन की आपूर्ति में विफल रहने से संकट खड़ा हो गया है। एयरलाइन प्रबंधन 12 महीने से अधिक समय से पीएंडडब्ल्यू को अतिरिक्त इंजन उपलब्ध कराने और उनकी मरम्मत के लिए भरोसा दिलाने का प्रयास कर रहा है। इसके बावजूद पीएंडडब्ल्यू बातचीत को बाधित कर रही है। ऐसे में हमने मामले में सिंगापुर में आपात मध्यस्थता के लिए कदम उठाया है।
बैंक कर्ज रुपये में
सेंट्रल बैंक 2,000 करोड़
डच बैंक 1,320 करोड़
आईडीबीआई बैंक 50 करोड़
एक्सिस बैंक 30 करोड़
एयरलाइन पट्टे पर विमान देने वालों के भुगतान के लिए राजस्व नहीं जुटा पा रही है। पट्टेदार एयरलाइन के खिलाफ जबरिया कार्रवाई कर रहे हैं। ऐसे में एयरलाइन के पास दिवालिया समाधान प्रक्रिया के अलावा कोई विकल्प नहीं है। कंपनी संकट से निपटने के लिए हर कदम उठा रही है और कर्मचारियों को लेकर चिंतित है।
– कौशिक खोना, सीईओ, गो फर्स्ट
राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) बृहस्पतिवार को गो फर्स्ट की स्वैच्छिक दिवालिया समाधान याचिका पर सुनवाई करेगा।
स्पाइसजेट ने बुधवार को कहा, वह 25 बंद पड़े विमानों को फिर से शुरू करने पर काम कर रही है। इसके लिए अब तक 400 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसके अलावा, आपातकालीन ऋण गारंटी योजना और अन्य साधनों से भी रकम जुटाई जाएगी। एयरलाइन के पास कुल लगभग 80 विमान हैं।
ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ज्योति मयाल ने कहा, गो फर्स्ट का दिवालिया प्रक्रिया के लिए आवेदन करना और उड़ानें रद्द करना विमानन उद्योग के लिए अच्छा नहीं है। इससे कुछ मार्गों पर हवाई किराया बढ़ सकता है। उन्होंने कहा, गर्मियों के मौसम में हवाई यात्रा की मांग ज्यादा रहती है। ऐसे में गो फर्स्ट के बंद होने से किराया बढ़ेगा।
तीन दशक पहले 1994 में निजी एयरलाइनों के आने के बाद से देश में हर साल औसतन एक विमानन कंपनी बंद होती है। अब तक 27 कंपनियां बंद हो गईं या किसी और ने इनका अधिग्रहण कर लिया है।
जेट एयरवेज और अब गो फर्स्ट की दुर्दशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत को दुबई या सिंगापुर जैसे वैश्विक विमानन केंद्र में बदलने के लक्ष्य के लिए भी एक झटका है।
इंडियन ऑयल गो फर्स्ट की 6.1 करोड़ डॉलर की बैंक गारंटी वापस लेगी। इसने बैंकों से इसके लिए संपर्क किया है और बैंकों ने इसे स्वीकार कर लिया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। इंडियन ऑयल बैंक गारंटी के आधार पर गो फर्स्ट को ईंधन देती थी। यह बैंक गारंटी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा और सेंट्रल बैंक ने दी थी।