बैंक फंसे कर्ज को बट्टे खाते में डालने के बाद उनकी वसूली को लेकर कोई प्रयास नहीं करते हैं और वे उसी वसूली से संतुष्ट हो जाते हैं। यह स्वीकार्य नहीं है
वित्त मंत्रालय ने बट्टे खाते में पड़ी कम रकम की वसूली पर चिंता जताया है। इसने कहा कि सरकारी बैंकों को कम से कम 40 फीसदी तक की वसूली करनी चाहिए। इस समय बट्टे खाते से वसूली दर 15 फीसदी से कम है। बट्टे खाते का मतलब राइट ऑफ से है, जिसे कभी भी बैंक वसूल सकते हैं। मार्च, 2022 को समाप्त पांच वर्षों के दौरान इन बट्टे खातों में से केवल 14 फीसदी की ही वसूली हो पाई थी। इस दौरान कुल 7.34 लाख करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले गए। इसमें से सरकारी बैंकों ने 1.03 लाख करोड़ रुपये की वसूली की। सूत्रों ने कहा कि ऐसा लगता है कि बैंक फंसे कर्ज को बट्टे खाते में डालने के बाद उनकी वसूली को लेकर कोई प्रयास नहीं करते हैं और वे उसी वसूली से संतुष्ट हो जाते हैं। यह स्वीकार्य नहीं है।
11.17 लाख करोड़ पड़े हैं बट्टे खाते में
प्रस्तावित बैठक डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल और डेट रिकवरी अपीलेट सहित विभिन्न अदालतों में ऐसे खातों के संबंध में लंबित मामलों का जायजा लेगी। बट्टे खाते में डाले गए बड़े खातों के संबंध में बैंकों को अधिक सक्रिय होने का निर्देश दिया गया है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, पिछले छह वर्षों (वित्त वर्ष 2021-22) में बैंकों ने 11.17 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को बट्टे खाते में डाला है। इसमें सरकारी बैंकों का हिस्सा 8.16 लाख करोड़ और निजी बैंकों का हिस्सा 3.01 लाख करोड़ है।
सेबी ने सीएनबी का रद्द किया लाइसेंस
बाजार नियामक सेबी ने बंद हो चुके सीएनबी कमोडिटीज ब्रोकरेज हाउस का लाइसेंस रद्द कर दिया है। इसे नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लि. (एनसईएल) ने शुरू किया था, जो अवैध गतिविधियों में लिप्त रहता था।
सेबी ने सोमवार को कहा, सीएनबी को अपने मौजूदा ग्राहकों को 15 दिनों के भीतर अपनी प्रतिभूतियों या फंड को वापस लेने या स्थानांतरित करने की अनुमति देनी होगी। अगर ग्राहकों को ब्रोकर यह सुविधा देने में विफल रहता है तो अगले 15 दिनों की अवधि के भीतर ऐसे ग्राहकों के धन व प्रतिभूतियों को दूसरे ब्रोकर को स्थानांतरित कर दिया जाएगा।