उमेश पाल हत्याकांड की साजिश का पर्दाफाश करने के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दिनेश गौतम की अदालत ने माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को चार दिनों की पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर कर ली है। दोनों से करीब दो सौ सवाल पूछे जाएंगे। पुलिस ने इसकी सूची पहले ही तैयार कर ली है। पूछताछ के दौरान अदालत ने दोनों को वकील रखने की छूट दे दी है।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत केस डायरी, अन्य कागजातों का अवलोकन करने के बाद अतीक अहमद और अशरफ को 26 अप्रैल तक न्यायिक अभिरक्षा में लेने की स्वीकृति दी। इस बीच, अतीक और अशरफ को नैनी जेल भेज दिया गया। इस प्रक्रिया के बाद उमेश पाल हत्याकांड की जांच कर रहे विवेचक ने दोनों अभियुक्तों की 14 दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड मांगी। अदालत ने दोनों पक्ष को सुनने के बाद 13 अप्रैल की शाम छह बजे से 17 अप्रैल की दोपहर दो बजे तक की पुलिस रिमांड मंजूर कर ली।
कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि दोनों को कस्टडी में लेने से पहले और अदालत में दाखिल किए जाने के समय चिकित्सीय परीक्षण के साथ-साथ कोरोना जांच भी कराई जाए। उनके साथ कोई अमानवीय व्यवहार नहीं किया जाए।अभियुक्तगण चाहें तो अपने अधिवक्ता को साथ रख सकते हैं। अधिवक्ता इनसे उचित दूरी बनाए रखेंगे और विवेचना में कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
अभियोजन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) गुलाबचंद अग्रहरि, संयुक्त निदेशक (अभियोजन) विश्वनाथ तिवारी, विशेष लोक अभियोजक वीरेंद्र सिंह गोपाल ने पक्ष रखा, जबकि अतीक-अशरफ की ओर से दया शंकर मिश्र, राधे श्याम पांडेय, मनीष खन्ना और विजय मिश्रा ने पुलिस कस्टडी रिमांड के विरोध में दलीलें दीं।