छत्तीसगढ़ में बस्तर की जीवनदायिनी कही जाने वाली इंद्रावती नदी से रेत का अवैध उत्खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है। घाट में करीब 2 पोकलेन मशीनें लगी हुई। इन मशीनों के माध्यम से हरदिन करीब 100 से ज्यादा हाइवा और ट्रैक्टर वाहनों से अवैध रूप से रेत ढुलाई का काम चल रहा है। जब दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड रिपोर्ट के लिए मौके पर पहुंची तो यहां मौजूद ठेकेदार, वाहनों के ड्राइवर, और मजदूर सब वाहनों को छोड़कर जंगल की तरफ भाग गए।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट….
संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से करीब 15 से 18 किमी दूर कलचा गांव है। इस गांव के नजदीक इंद्रावती नदी में बने कुरुसपाल डैम के पास अवैध उत्खनन का कार्य चल रहा है। इलाके के ग्रामीणों के माध्यम से दैनिक भास्कर की टीम को इसकी जानकारी मिली थी। जब मौके के लिए निकले तो स्पॉट में पहुंचने से करीब 200 मीटर पहले 5 से 6 हाइवा और 3 से 4 ट्रैक्टर रेत लेजाते दिखे। जिसकी हमने वीडियो बनाई। वाहन चालकों ने इस बात की जानकारी ठेकेदार को फोन कर दे दी।
हालांकि, कुछ ही देर बाद जब हम घाट में पहुंचे तो ठेकेदार सभी मजदूरों, ट्रैक्टर और हाइवा चालकों को भागने के लिए कह रहा था। 2 महिला मजदूरों को छोड़कर अन्य सारे मजदूर जंगल की तरफ भाग निकले। मौके पर 2 पोकलेन, 2 हाइवा और करीब 3 ट्रैक्टरों को छोड़कर चालक फरार हो गए। हालांकि, इस बीच एक पोकलेन ऑपरेटर हमें मिल गया। वह भी वाहन बंद कर भागने की फिराक में था। उससे पूछने पर बताया कि, कई महीनों से यहां पोकलेन मशीनें लगी हुई है।
पोकलेन से ही रेत उत्खनन का कार्य किया जा रहा है। हरदिन करीब 100 से ज्यादा हाइवा और ट्रैक्टरों के ( 100 से ज्यादा का मतलब 100 ट्रिप) माध्यम से रेत की ढुलाई भी की जा रही है। नदी के किनारे भी रेत का टीला बनाकर रखा गया है। पोकलेन ऑपरेटर ने बताया कि, 24 घंटे यहां गाड़ियां खड़ी रहती हैं। रात में भी पोकलेन के माध्यम से उत्खनन का कार्य चलता रहता है। घाट के किनारे ठेकेदार तंबू गाड़कर रात भर वहीं डेरा जमाए रहते हैं।
5 मई 2022 को खत्म हुई लीज
जिस जगह पर अवैध उत्खनन का काम चल रहा है वह खदान 6 मई 2020 को ठेकेदार दिलीप दुबे को लीज पर मिली थी। 5 मई 2022 को लीज की अवधि समाप्त हो गई। लेकिन, ठेकेदार दिलीप दुबे अब भी अवैध तरीके से उत्खनन का कार्य करवा रहे हैं। हालांकि, किसी तरह से हम जब दिलीप दुबे के पास पहुंचे और उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि, लीज की तारीख आगे बढ़ गई है। एक साल की अवधि बढ़ाई गई है, इसलिए उत्खनन का कार्य किया जा रहा है।
जब उनसे लीज की अवधि बढ़ाने के संबंध में अधिकारी का आदेश मांगा गया तो उन्होंने दस्तावेज नहीं है कहा। इधर, नदी तक पहुंचने वाले मार्ग में लगे बोर्ड में भी 5 मई 2022 तक कि अवधि का जिक्र है। इन्हें 2020 से 2022 तक खसरा क्रमांक-01 और रकबा 2.8 हेक्टेयर का आबंटन हुआ था। दैनिक भास्कर के कैमरे में तस्वीरें कैद होने के बाद ठेकेदार ने खुद भी माना है कि वे पोकलेन के माध्यम से रेत का उत्खनन करवा रहे हैं।
अफसरों की भी है मिलीभगत!
संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से बेहद करीब का गांव होने के बाद भी अफसर मौके पर नहीं पहुंचते हैं। न ही रेत माफियाओं पर कार्रवाई की जाती है। जिससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि, अफसरों की भी इसमें मिलीभगत है! कलचा और मालगांव के रास्ते रेत का परिवहन हो रहा है। लेकिन, माइनिंग अफसर एक भी जगह नाका लगाकर चेकिंग तक नहीं करते हैं। इसलिए रेत माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।
कलेक्टर बोले- करेंगे जांच
बस्तर जिले के कलेक्टर चंदन कुमार ने कहा कि, मीडिया के माध्यम से पोकलेन मशीन से अवैध उत्खनन होने का पता चला है। इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि, समय-समय पर माइनिंग के अफसर अवैध परिवहन करने वालों पर कार्रवाई करते हैं।
जानिए क्या कहता है नियम?
यदि नियमों की मानें तो किसी भी रेत खदान से JCB, पोकलेन समेत अन्य वाहनों से रेत का उत्खनन नहीं किया जाना है। क्योंकि इसके उपयोग से जल में रहने वाले जीवों को नुकसान पहुंचता है। वैध खनन क्षेत्र से सिर्फ हाथों से ही रेत निकालने की अनुमति होती है। इंद्रावती नदी में विभिन्न प्रजाति के जीव हैं। लेकिन, फिर भी बड़े पैमाने पर इंद्रावती नदी से मशीनों के माध्यम से रेत उत्खनन का कार्य किया जा रहा है।