”दोपहर के 3:30 बज रहे होंगे। मैं खेत में आलू खोद रहा था। अचानक फोन की घंटी बजी। उठाते ही भाई की आवाज आई, ‘भइया घर में आग लग गई है। पापा जल गए हैं। भाभी के गहने, कपड़े-लत्ते, जानवर, बर्तन सब कुछ जला जा रहा है…जल्दी आओ।’ मैं गांव की तरफ भागा। पास पहुंचा, तो देखा पूरे गांव के ऊपर काले घुएं का गुब्बार उठ रहा था। एक-एक करके 80 से ज्यादा घरों से आग की लपटें दिख रही थीं। हर तरफ चीख-पुकार। मानो गांव में नहीं किसी श्मशान में खड़ा हूं।”
”घर पहुंचा तो पापा बेहोश मिले। उन्हें घर के बाहर लिटाया गया। भाई हैंडपंप से पानी भरकर बार-बार जल रहे छप्पर पर फेंक रहा था। शाम 4 बजकर 30 मिनट पर दमकल की गाड़ी आई। आग बुझाते-बुझाते 3 घंटे बीत गए। आग कुछ थमी, तो घर के अंदर गए। वहां रसोई के बर्तनों से लेकर बक्सों में रखा सामान बर्बाद हो चुका था। बदन का कपड़ा छोड़ हमारा सब कुछ राख हो चुका था।’ आग में पूरी तरह जल चुके घर में बचा-खुचा सामान बीन रहे विनोद रायदास ने हमें ये बताया।
ये तस्वीर आग में तबाह हुए बिछुइया गांव 86 घरों की है। आग बुझने के बाद अब यहां सिर्फ लोगों की जली हुई गृहस्थी बची है।
ये तस्वीर आग में तबाह हुए बिछुइया गांव 86 घरों की है। आग बुझने के बाद अब यहां सिर्फ लोगों की जली हुई गृहस्थी बची है।
हरदोई के बिलग्राम कोतवाली इलाके में गंगा की तलहटी पर बसा है कटरी बिछुइया गांव। यहां 23 फरवरी की दोपहर गांव के ही एक घर में चूल्हे की चिंगारी से अचानक आग लग गई। कोई कुछ समझ पाता, इससे पहले आग की तेज लपटों ने पूरे गांव को अपने जद में ले लिया।
सूचना मिलते ही CO बिलग्राम सत्येन्द्र सिंह, नायब तहसीलदार ज्योति वर्मा और SHO फूल सिंह अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। दमकल कर्मियों की टीम आग पर काबू पाने के लिए जुट गई। लेकिन जब तक आग पर काबू पाया जाता, गांव के 86 घर पूरी तरह से तबाह हो चुके थे।
घर में केवल लोग बचे, बाकी सब उजड़ गया
गांव में विनोद ही इकलौते ऐसे शख्स हैं, जिनके घर का कोई सदस्य इस घटना में जला है। विनोद के पिता बसंत रायदास की हालत गंभीर बनी हुई है। उनका इलाज हरदोई जिला अस्पताल में चल रहा है। विनोद कहते हैं, “भाई का इलाज करवाने के लिए मैंने 20 हजार रुपए लाकर भाभी को दिए थे। वो भी इस घटना में चले गए। घर में 5 बच्चे भी हैं, अब इन्हें कैसे पाल पाएंगे। जिंदगी भर पैसे जोड़-जोड़कर जो गृहस्थी बनाई थी, सब एक झटके में बर्बाद हो गया।”
जब घर पर आग लगी तो विनोद की भाभी गुड्डी वहां मौजूद थीं। उन्होंने ही किसी तरह अपने ससुर को आग से बचाकर बाहर निकाला। गुड्डी वो मंजर यादकर सहम जाती हैं। वो कहती हैं, “मैं रसोई में दूध गर्म कर रही थी जब आग भड़क गई। अचानक मेरे सिर पर छप्पर जलने लगा। मैं बाहर की तरफ भागी।”
तस्वीर के बाईं तरफ जख्मी बसंत हैं। दाईं तरफ घर में जल चुका सामान दिखाती गुड्डी हैं।
तस्वीर के बाईं तरफ जख्मी बसंत हैं। दाईं तरफ घर में जल चुका सामान दिखाती गुड्डी हैं।
“मैंने देखा कि पिता जी के कमरे में भी आग लगी हुई है। वो 70 साल के हैं, चल नहीं पाते। किसी तरह मैंने उन्हें आग से बचाकर निकाला, लेकिन वो बुरी तरह से जल गए थे। बाद में विनोद भइया उन्हें बिलग्राम सीएचसी ले गए।” इतना कहकर गुड्डी रोने लगीं। कुछ देर बाद बोलीं- भगवान मेरे पिता जी को बचा लो।”
5 बेटियों की शादी के लिए जोड़े पैसे-जेवर राख हो गए
इस घटना में कमला देवी का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। घर में आग लगने से उनका 50 हजार से ज्यादा का कीमती सामान बर्बाद हो गया। इसमें वो गहने भी थे जो उन्होंने अपनी 5 बेटियों की शादी के लिए हिफाजत से रखे थे। आग में पिघल चुके गहनों को दिखाते हुए कमला कहती हैं,’खेतों में मजदूरी कर के मैंने अपनी 7 बेटियों का पाला। दो की शादी भी धूमधाम से की। बाकी 5 बेटियों की शादी के लिए मैंने 3 पायल, 2 अंगूठी और 1 कमरपट्टी अलमारी में रखी थी। अब इन जले हुए गहनों का क्या करूंगी?’
कमला की देवरानी निर्मला के भी जेवर आग में जल गए। उनके भी 9 बच्चे हैं। पांच लड़कों की शादी हो चुकी है। बाकी 4 बेटियां हैं, एक की शादी बात चल रही थी। घटना के बाद ग्राम प्रधान नर्वेश यादव ने प्राथमिक स्कूल में इन लोगों के रहने का इंतजाम किया है। कुछ लोग जो घर छोड़ना नहीं चाहते थे, उन्हें तिरपाल दिए गए हैं।
कमला ने बेटियों की शादी के लिए घर पर जो गहने रखे थे, वो इस तरह जलकर गल गए हैं।
कमला ने बेटियों की शादी के लिए घर पर जो गहने रखे थे, वो इस तरह जलकर गल गए हैं।
आंखों के सामने भैंस जलती रही, मैं कुछ नहीं कर पाया
आग में गांव के 3 मवेशी भी जिंदा जल गए। जबकि 4 जानवर जख्मी हुए हैं। हादसे के वक्त जब सुरेंद्र घर का सामान बचाने में जुटे हुए थे तब दरवाजे पर बंधी भैंस आग में तड़प रही थी।
सुरेंद्र ने बताया, ‘जब आग लगी तब घर पर मैं और मेरी घरवाली ही थे। हम एक-एक करके बक्सों को बाहर ला रहे थे। इस बीच मैंने देखा कि मेरी भैंस भी आग की चपेट में आ गयी है। उसके पेट की खाल जलकर लटक गई थी। वो दर्द से तड़प रही थी। उसकी हालत देखकर मैं भी डर गया था।’
मल्लावां के पशु चिकित्सा अधिकारी विकास कुमार के मुताबिक, जिन किसानों के मवेशियों की मौत हुई है। उन्हें DM स्तर पर मुआवजे के रकम भेज दी गई है। साथ ही जिंदा बचे जानवरों के लिए चारे की व्यवस्था की जा रही है। हालांकि, ग्रामीणों से पूछने पर ज्यादातर ने इस बात से इनकार किया है।
गृहस्थी के साथ PM आवास के 40 हजार रुपए भी जल गए
बिछुइया गांव के राम प्रकाश का पीएम आवास योजना में घर बनने वाला था। आवास की पहली किश्त के 40 हज़ार रुपए भी मिल गए थे। जो इस घटना में जल गए। राम प्रकाश कहते हैं, ‘पिछले हफ्ते बैंक से पहली किश्त के पैसे निकाले थे। घर बनने के लिए पक्के ईंट भी मंगवा लिए थे। थोड़े दिन में काम शुरू होने वाला था पर उसके पहले ये हादसा हो गया। अब न पैसे बचे हैं न पक्का घर बनने की उम्मीद।’
राम प्रकाश के घर के बाहर पड़े जले हुए बर्तन।
राम प्रकाश के घर के बाहर पड़े जले हुए बर्तन।
गांववालों के मुताबिक, गंगा की तलहटी पर बसे होने के कारण गांव में 90% घर छप्पर और घास-फूस से बने हुए हैं। ताकि जलस्तर बढ़ने पर लोग आसानी से पलायन कर सकें। जिस वक्त यह घटना हुई उस दौरान हवा काफी तेज चल रही थी। इसलिए जब एक छोर पर बने घर से चिंगारी उठी तो तेज हवा के कारण आग ने पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लिया।
हादसे के समय 3 घरों में रखे सिलेंडर भी फट गए। इससे आग और तेजी से फैलती गई। देखते ही देखते 4 घंटे में गांव के 86 घर जलकर राख हो गए।
जिस घर से निक्की की डोली उठनी थी, वो जल गया
गंगा नदी के सबसे करीब बनी कुस्मा की झोपड़ी भी इस घटना में जल गई। कुस्मा इसमें पति, बेटे और बेटी के साथ रहती थी। जले हुए कपड़े और राशन दिखाते हुए कुस्मा कहती हैं, “हम मजदूर हैं साहब, दूसरों के खेत में आलू तोड़कर जो दिहाड़ी मिलती है उसी से घर चलता है। अब निक्की बिटिया बड़ी हो रही है। उसकी शादी के लिए एक-एक पैसा जोड़कर रखा था, सब आग में बर्बाद हो गया।”
प्रशासन ने कुस्मा को रहने के लिए तिरपाल, नया गैस सिलेंडर और चूल्हे के साथ नुकसान की भरपाई का आश्वासन दिया है। लेकिन आग में जल चुके घर से जुड़ी यादों को भुलाने में उन्हें शायद काफी वक्त लग जाएगा।
घटना की आपबीती बताती कुस्मा और उनके बगल में बैठी बेटी निक्की।
घटना की आपबीती बताती कुस्मा और उनके बगल में बैठी बेटी निक्की।
हमने गांव के राम निवास, मंशा राम, शिशुपाल, राम तीरथ, भुप्पा और फूलचंद से भी बात की। इन सभी के घर पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं। लोगों का कहना है कि उन्हें सरकारी मदद के नाम पर महज 5-5 किलो राशन और गैस चूल्हा दिया गया है।
अब…
यहां तक आपने आग में अपना सब कुछ गवां चुके लोगों की आपबीती सुनी। अब घटना पर जिला प्रशासन का पक्ष जान लेते हैं…
डीएम बोले- 54 परिवारों के खाते में भेजा गया 25 लाख रुपए
घटना के बाद पीड़ित परिवारों को दी गई सहायता राशि के बारे में हरदोई डीएम मंगला प्रसाद सिंह ने दैनिक भास्कर को बताया, “घटना के दिन मैंने गांव पहुंचकर लोगों राहत राशि देने का आदेश जारी कर दिया था। इसी क्रम में गांव के 54 परिवारों को 25 लाख रुपए की मुआवजा राशि भेजी गई है। कई लोगों की पासबुक हादसे में जल गई थी, उनका भी बैंक से वेरिफिकेशन करवाकर खातों में पैसे भेज दिए गए हैं।”
“जिन लोगों के मवेशियों की मौत हुई है। उन्हें इसका अलग से मुआवजा दिया गया है। साथ गैस-चूल्हा, एक-एक गैस सिलेंडर और रहने की टेंपरेरी व्यवस्था की गई है।”
ASP बोले- एक भी मौत नहीं, जख्मी बसंत खतरे से बाहर
हरदोई के ASP नरपेंद्र सिंह ने बताया कि गांव के किसी घर में चूल्हे की चिंगारी से लगी आग ने 86 घरों को अपने चपेट में ले लिया। ये घटना और बड़ी हो सकती थी अगर समय पर दमकल की गाड़ियां न पहुंचती। अच्छी बात ये रही कि हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई है।
बसंत नाम का व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुआ था। जिसका इलाज हरदोई में किया जा रहा है। फिलहाल उनकी हालत खतरे के बाहर है।
कटान के कारण पहले भी उजड़ चुका है कटरी बिछुइया गांव
ग्राम प्रधान नर्वेश यादव ने बताया कि बिछुइया गांव गंगा की तलहटी में बसा हुआ है। नदी की कटान की वजह से गांववाले हर दूसरे साल अपनी निश्चित जगह से पीछे हटते चले जाते हैं। साल 1993 में गंगा में आई बाढ़ की वजह से ये गांव उजड़ गया था। इसके बाद गांव से पलायन कर गए लोग पिछले 30 साल से यहीं बसे हुए थे।