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झमाडा के कार्यरत और पूर्व कर्मियों की सूची नगर विकास विभाग ने मांगी

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झारखंड खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार (झमाडा) में कार्यरत सभी कर्मचारियाें की सूची नगर विकास विभाग ने तलब की है। पत्र भेज कर पूछा है कि कब-कब कितने कर्मियाें काे बहाल किया गया और जिन पदाें पर बहाली हुई, वे स्वीकृत थे या नहीं। यह भी पूछा है कि पद स्वीकृति की प्रत्याशा में किन कर्मियाें काे बहाल किया गया। कार्यरत और सेवानिवृत्त कर्मियाें की सूची विभाग ने सेवा पुस्तिका के साथ उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।

वहीं, कर्मियाें की सूची मांगे जाने से नगर निकायाें में झमाडा के विलय की अटकलें तेज हाे गई हैं। अधिकारी व कर्मी इस पर बातें कर रहे हैं। गाैरतलब है कि विलय की चर्चा कई वर्षाें से चल रही है। उसके मुताबिक, झमाडा के कर्मियाें काे धनबाद नगर निगम के साथ-साथ चास, गिरडीह, हजारीबाग, रामगढ़ और चिरकुंडा के नगर निकायाें में समायाेजित किया जा सकता है। हालांकि, प्रशासनिक स्तर पर इसकी पुष्टि नहीं की गई है। प्रभारी एमडी सत्येंद्र कुमार ने भी पूछने पर साेमवार काे कहा कि विलय पर काेई निर्देश नहीं मिला है, सिर्फ सूची मांगी गई है। स्थापना शाखा से कहा गया है। 10 दिनाें में सूची भेज दी जाएगी।

10 साल पहले शुरू हुई थी विलय की प्रक्रिया

गाैरतलब है कि 10 साल पहले भी झमाडा के विलय की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके लिए तत्कालीन उप समाहर्ता बीपीएल दास के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने झमाडा के सभी कर्मियाें से लिखित प्रस्ताव मांगा था कि वे किस नगर निकाय में जाना चाहते हैं। दूसरे निकाय में भेजे जाने की इच्छा है या नहीं, यह भी पूछा गया था। कुछ कर्मियाें ने विलय और अपने समायाेजन पर सशर्त स्वीकृति जताते हुए जानना चाहा था कि उनके बकाया वेतन का भुगतान काैन और कैसे करेगा। संभवत: कर्मियाें की इसी शर्त की वजह से विलय का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया था।

झमाडा की आर्थिक स्थिति वर्षाें से खराब है। जितना खर्च है, अामदनी उससे काफी कम है। इसी वजह से कर्मियाें काे नियमित वेतन तक नहीं मिल पाता है। वेतन भुगतान अाैर रिटायर्ड कर्मियाें के पावना अादि के मदाें में बड़ी राशि वर्षाें से बकाया है। कुल देनदारी करीब 90 कराेड़ रुपए पहुंच चुकी है। इन देनदारियाें की वजह से ही सरकार नगर निकायाें में झमाडा के विलय पर वर्षाें से चर्चा के बावजूद काेई प्रभावी कदम नहीं उठा पा रही है।

बकाए की मांग पर कर्मियाें ने कर रखा है केस

झमाडा की आय का मुख्य स्राेत जलापूर्ति के एवज में मिलनेवाला शुल्क है। बाजार फीस से भी कुछ राशि विकास कार्याें व वेतन भुगतान के लिए मिलती है। अधिकारियाें के मुताबिक, कर्मियाें के वेतन, रिटायर्ड कर्मियाें के पावना भुगतान और जलापूर्ति मद में झमाडा का प्रति माह का खर्च करीब 7 कराेड़ रुपए है। सिर्फ जलापूर्ति पर ही हर महीने 44 लाख रुपए का खर्च है। वहीं, आमदनी प्रति माह 2 से 3 कराेड़ रुपए ही है। बकाया वेतन भुगतान की मांग के साथ कई कर्मियाें ने हाईकाेर्ट में केस कर रखा है।

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