सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हेट स्पीच और हेट क्राइम को लेकर एक अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि भारत जैसे एक धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर हेट क्राइम के लिए कोई जगह नहीं है। कोर्ट ने साथ में यह भी कहा कि देश में लगातार हेट स्पीच के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसको लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। यह राज्य की जिम्मेदारी है कि ऐसे मामलों में आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।
साल 2021 में नोएडा में 62 साल के काजीम अहमद शेरवानी हेट क्राइम का शिकार हो गए थे। इसी मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली बेंच ने टिप्पणी की है।
SC बोला- हेट क्राइम को कारपेट के नीचे नहीं दबा सकते
हेट स्पीच के बढ़ते मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की और सुनवाई शाम 6 बजे तक चलती रही। कोर्ट ने कहा कि यदि राज्य अभद्र भाषा की समस्या को स्वीकार करता है तभी उसका एक समाधान निकाला जा सकता है। इसके अलावा कोर्ट ने पुलिस से सवाल किया कि क्या हेट क्राइम को पहचाना जाएगा या इसे दबाने की कोशिश की जाएगी? ये हेट क्राइम है। क्या आप इसे कारपेट के नीचे दबा देंगे?
धर्म के नाम पर किसी को पीटे जाने पर भी केस न होना एक समस्या है
अगर कोई व्यक्ति पुलिस के पास आता है और कहता है कि मैंने टोपी पहन रखी थी और मेरी दाढ़ी खींची गई और धर्म के नाम पर गाली दी गई। इसके बाद भी कोई केस दर्ज नहीं किया गया तो यह एक समस्या है। ऐसे पुलिस वालों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा कि जो कोई पुलिस स्टेशन आ रहा है, उसे आरोपी जैसा महसूस नहीं कराया जाना चाहिए।
दो साल पहले मुस्लिम होने की वजह से व्यक्ति की पिटाई की गई
साल 2021 में 62 साल के व्यक्ति ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि 4 जुलाई को वह नोएडा के सेक्टर 37 में अलीगढ़ जाने वाली बस का इंतजार कर रहा था। जब उन्हें कुछ लोगों ने लिफ्ट देने की पेशकश की। इसके बाद उन्होंने मुस्लिम होने पर टारगेट किया और गाली देते हुए मारपीट की। पीड़ित नोएडा के सेक्टर 37 में एक पुलिस चौकी गया। वहां कोई सीनियर पुलिस अफसर नहीं थे। केवल कांस्टेबल मौजूद थे। इसलिए कोई केस दर्ज नहीं किया गया।
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दिल्ली धर्म संसद में नफरती बयान यानी हेट स्पीच मामले में सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को पुलिस पर बरस पड़ा। कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर सवालों की झड़ी लगा दी। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि धर्म संसद 19 दिसंबर 2021 को हुई थी, इसके 5 महीने बाद FIR क्यों दर्ज की गई?
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सकल हिंदू समाज 5 फरवरी को मुंबई में हिंदू जन आक्रोश रैली निकालने वाला था। इसके पहले ही सुप्रीम कोर्ट में शाहीन अबदुल्ला ने इस रैली पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि इस रैली के दौरान मुस्लिम विरोधी भड़काऊ भाषण दिए जा सकते हैं। इसलिए कोर्ट इस मामले में दखल दे।