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आदिवासी इलाकों में खुलेंगे स्कूल, घर और पानी पर ज्यादा होगा खर्च

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केंद्र सरकार की सहायता से राज्यों में चल रही स्कीम्स में बजट घटने-बढ़ने का असर राजस्थान के इसी माह आने वाले बजट पर भी पड़ेगा।

केंद्र ने गांवों में रोजगार की लाइफ लाइन मानी जाने वाली मनरेगा स्कीम के बजट में बड़ी कटौती की है। वहीं, अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को मिलने वाली स्कॉलरशिप स्कीम का भी बजट एक तिहाई घटा दिया है।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में भी 3 हजार करोड़ रुपए बजट कम किया है। योजनाओं में बजट घटाने से अन्य राज्यों के साथ राजस्थान को भी हिस्सा राशि कम मिलेगी।

हालांकि, प्रधानमंत्री आवास योजना, जल जीवन मिशन और भारत स्वच्छ मिशन का बजट पिछले साल के मुकाबले बढ़ाया गया है। बजट बढ़ने से राजस्थान को भी ज्यादा राशि मिलेगी।

सबसे ज्यादा असर मनरेगा से जुड़े मजदूरों पर

सेंट्रल स्पोंर्स्ड स्कीम्स के बजट में की गई कटौती से सबसे ज्यादा असर मनरेगा(नरेगा) पर दिखेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा को गरीबों के जीवन यापन के लिए बेहद अहम माना जाता है।

मनरेगा के बजट में केंद्र ने पिछली बार के मुकाबले करीब 30 हजार करोड़ की कटौती कर दी है। बजट घटने से राजस्थान को मिलने वाली हिस्सा राशि में भी कटौती तय है।

ऐसा होने से इस योजना से जुड़े राजस्थान के करीब 1.45 करोड़ ग्रामीण मजदूरों पर सीधा असर पड़ेगा।

केंद्र सरकार के पिछले बजट में मनरेगा का आकार 73 हजार करोड़ रुपए था। बाद में जरूरत देखते हुए इसे बढ़ाकर केंद्र ने रिवाइज्ड एस्टीमेट 89,400 करोड़ कर दिया था। इस बार मनरेगा का आकार घटाकर मात्र 60 हजार करोड़ कर दिया गया है।

मनरेगा में केंद्र से राज्यों को 75 प्रतिशत हिस्सा राशि मिलती है। पिछले साल राज्य सरकार ने केंद्र के बजट प्रावधानों को देखते हुए केंद्र से मिलने वाली हिस्सा राशि 2970 करोड़ का अनुमान लगाकर खुद के बजट में 3906 करोड़ का प्रावधान किया था।

इस बार केंद्र की ओर से बजट घटाने से राजस्थान को हिस्सा राशि कम मिल पाएगी। ऐसे में राज्य सरकार के ग्रामीण विकास विभाग का बजट इस बार पिछले बजट से कम रहेगा।

बजट अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र (बार्क) के निदेशक नेसार अहमद ने दैनिक भास्कर को बताया कि मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण स्कीम में बजट घटाने से इसमें होने वाले काम धीमे और कम हो जाएंगे। इस स्कीम से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं भी बड़ी संख्या में मजदूरी करती हैं।

अहमद कहते हैं- मनरेगा के बजट में बड़ी कटौती का असर राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ने के रूप में दिखेगा।
अहमद कहते हैं- मनरेगा के बजट में बड़ी कटौती का असर राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ने के रूप में दिखेगा।

अहमद ने कहा-केंद्र ने कोविड के पहले वर्ष 2019-2020 में 71,687 करोड़ रुपए बजट खर्च किया था। अब तो कोविड के कारण वैसे ही गांवों में बेरोजगारी ज्यादा है। ऐसी स्थिति में बजट कटौती होने से गांवों में रोजगार का संकट और बढ़ने की आशंका खड़ी हो गई है।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में बजट घटने से किसानों को आएगी दिक्कत

किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत राज्यों को 60 प्रतिशत हिस्सा राशि दी जाती है।

40 प्रतिशत पैसा राज्यों की ओर से खर्च किया जाता है। केंद्र के बजट में इस योजना में पिछले साल के मुकाबले बजट घटाया गया है।

पिछले साल के बजट में 10,433 करोड़ रुपए रखे गए थे। इस बार करीब 3 हजार करोड़ की कटौती करके योजना का बजट 7150 करोड़ कर दिया गया। ऐसी स्थिति में राजस्थान को इस योजना में हिस्सा राशि कम मिलेगी।

पीएम आवास योजना का बजट बढ़ा, गरीबों को ज्यादा मकान मिलेंगे

प्रधानमंत्री आवास योजना का बजट बढ़ाकर केंद्र सरकार ने गरीबों को ज्यादा मकान मिलने का रास्ता खोला है। इस योजना में केंद्र सरकार राज्यों को 60 प्रतिशत हिस्सा राशि देती है। बाकी 40 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को मिलाना पड़ता है।

पिछली बार पीएम आवास योजना में केंद्र का बजट 48 हजार करोड़ रुपए का था। इस बार बढ़ाकर इसे करीब 80 हजार करोड़ कर दिया गया है।

यह राजस्थान के लिए सुखद संकेत है। राजस्थान ने अपने बजट में पिछली बार 60 प्रतिशत के हिसाब से केंद्र से मिलने वाली हिस्सा राशि 4500 करोड़ को मिलाकर बजट प्रावधान किए थे। इस बार केंद्र से हिस्सा राशि ज्यादा मिलने के कारण राजस्थान भी योजना का बजट बढ़ाएगा।

मायनॉरिटी के बच्चों की स्कॉलरशिप पर दिखेगा असर

सरकारी और मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले अल्पसंख्यक समुदाय (मुस्लिम, सिख, इसाई, बौद्ध, जैन, पारसी) के बच्चों को केंद्र से स्कॉलरशिप मिलती है।

इसमें शर्त यह है कि यह स्कॉलरशिप उसी बच्चे को मिलती है जिसने पिछली कक्षा में कम से कम 50 प्रतिशत नंबर हासिल किए हो।

केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक बच्चों को दी जाने वाली प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम का बजट एक तिहाई घटा दिया है।

वर्ष 2022-23 में इस स्कीम में केंद्र ने 1425 करोड़ रुपए का बजट एस्टीमेट किया था। इस बार इसे घटाकर 433 करोड़ कर दिया गया है।

इस स्कीम में केंद्र से राज्यों को 100 प्रतिशत हिस्सा राशि मिलती है। यानी पूरा खर्च केंद्र सरकार ही उठाती है। इस बार बजट घटने से राज्य को हिस्सा कम मिलेगा। ऐसे में राज्य के मायनॉरिटी के बच्चों को स्कॉलरशिप पर बड़ा असर आएगा।

आदिवासी इलाकों में शिक्षा को मिलेगा बढ़ावा

एकलव्य मॉडल रेजीडेंसी स्कूल योजना में केंद्र सरकार ने बजट बढ़ाकर तीन गुणा कर दिया है। इस योजना के तहत आदिवासी बहुल इलाकों में आवासीय स्कूल खोले जाते हैं।

100 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार खर्च करती है। नियम है कि जिस ब्लॉक में 50 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जन जाति की हो या कम से कम इस वर्ग के 20 हजार लोग रहते हों, उन इलाकों में इस योजना का लाभ दिया जाता है।

केंद्र ने पिछले साल के बजट में इस स्कीम में 2000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। इस बार के बजट में इसे तीन गुणा बढ़ाकर 6000 करोड़ रुपए कर दिया गया है। ऐसे में सभी राज्यों की तरह राजस्थान के आदिवासी बेल्ट में इस योजना के तहत ज्यादा स्कूल खुल सकेंगे।

घर-घर नल कनेक्शन को मिलेगी रफ्तार
केंद्र सरकार से 50 प्रतिशत हिस्से की सहायता राशि वाले जल जीवन मिशन का बजट 10 हजार करोड़ रुपए बढ़ा है।

इस मिशन के तहत 50 प्रतिशत राशि राज्य को खर्च करनी होती है। पिछली बार के केंद्रीय बजट में जल जीवन मिशन में 60 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान था।

इस बार के बजट में इसके तहत 70 हजार करोड़ खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है। बजट का साइज बढ़ने से राजस्थान को पिछले साल के मुकाबले इस बार ज्यादा राशि मिलेगी। इससे लोगों के घरों तक पानी पहुंचाने के काम को रफ्तार मिलेगी।

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